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Kartik Purnima 2016: कार्तिक पूर्णिमा पर ऐसे रखें उपवास, घर में होगी धन की वर्षा

इस बार कार्तिक पूर्ण‍िमा पर 68 साल बाद पहली बार सबसे बड़ा चांद दिखेगा। भविष्य पुराण के अनुसार वैशाख, माघ और कार्तिक माह की पूर्णिमा स्नान-दान के लिए श्रेष्ठ मानी गई है।

Updated on: 14 Nov 2016, 11:00 AM

नई दिल्ली:

इस बार कार्तिक पूर्ण‍िमा पर 68 साल बाद पहली बार सबसे बड़ा चांद दिखेगा। भविष्य पुराण के अनुसार वैशाख, माघ और कार्तिक माह की पूर्णिमा स्नान-दान के लिए श्रेष्ठ मानी गई है। इस पूर्णिमा में व्यक्ति को नदी या अपने स्नान करने वाले जल में थोड़ा सा गंगा जल मिलाकर स्नान करना चाहिए तत्पश्चात भगवान विष्णु का विधिवत पूजन व अर्चन करना चाहिए।

पूरे दिन उपवास रखकर एक समय भोजन करें

इस दिन पूरे दिन उपवास रखकर एक समय भोजन करना चाहिए। अपनी सामर्थ्य अनुसार गाय का दूध, केला, खजूर, नारियल, अमरूद आदि फलों का दान करना चाहिए। ब्राहम्ण, बहन, बुआ आदि को कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है।

सोमवार को प्रातः काल से ही भरणी नक्षत्र उपस्थित रहेगा जो शाम को 4 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। 4 बजकर 26 मिनट से कृतिका नक्षत्र शुरू हो जाएगा। कार्तिक पूर्णिमा पर भरणी और कृतिका दोनों ही नक्षत्रों की उपस्थिति से इस बार गंगा स्नान और दान का महत्व अधिक है। 

कार्तिक पूर्णिमा पर मन्त्रोजाप

वसंतबान्धव विभो शीतांशो स्वस्ति नः कुरू'' चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।

कैसे करें कार्तिक पूर्णिमा में गंगा स्नान

कार्तिक पूर्णिमा की स्नान के सम्बन्ध में ऋषि अंगिरा ने लिखा है। इस दिन सबसे पहले हाथ-पैर धो लें फिर आचमन करके हाथ में कुशा लेकर स्नान करें। यदि स्नान में कुश और दान करते समय हाथ में जल व जप करते समय संख्या का संकल्प नहीं किया जाये तो कर्म फलों से सम्पूर्ण पुण्य की प्राप्ति नहीं होती है। दान देते समय जातक हाथ में जल लेकर ही दान करें।

कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करने से मिलता है असीम पुण्य

गृहस्थ व्यक्ति को तिल व ऑवले का चूर्ण लगाकर स्नान करने से असीम पुण्य मिलता है। विधवा तथा सन्यासियों को तुलसी के पौधे की जड़ में लगी मिट्टी को लगाकर स्नान करना चाहिए। इस दौरान भगवान विष्णु के ऊं अच्युताय नमः, ऊं केशवाय नमः, ऊ अनंताय नमः मन्त्रों का जाप करना चाहिए।
कार्तिक पूर्णिमा को ये उपाय करने से मां लक्ष्मी होगी प्रसन्न
पूर्णिमा मां लक्ष्मी को अत्यन्त प्रिय है। इस दिन मॉ लक्ष्मी की आराधना करने से जीवन में खुशियों की कमी नहीं रहती है।

कार्तिक पूर्णिमा का समय

पूर्णिमा को प्रातः 5 बजे से 10:30 मिनट तक मां लक्ष्मी का पीपल के वृक्ष पर निवास रहता है। इस दिन जो भी जातक मीठे जल में दूध मिलाकर पीपल के पेड़ पर चढ़ाता है उस पर मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है। कार्तिक पूर्णिमा के गरीबों को चावल दान करने से चन्द्र ग्रह शुभ फल देता है। इस शिवलिंग पर कच्चा दूध, शहद व गंगाजल मिलकार चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते है। कार्तिक पूर्णिमा को घर के मुख्यद्वार पर आम के पत्तों से बनाया हुआ तोरण अवश्य बांधे।

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कार्तिक पूर्णिमा पर वैवाहिक संबंध बनाने से बचें

वैवाहिक व्यक्ति पूर्णिमा के दिन भूलकर भी अपनी पत्नी या अन्य किसी से शारीरिक सम्बन्ध न बनायें वरना चन्द्रमा के दुष्प्रभाव आपको व्यथित करेंगे। आज के दिन चन्द्रमा के उदय होने के पश्चात खीर में मिश्री व गंगा जल मिलाकर मां लक्ष्मी को भोग लगाकर प्रसाद वितरित करें।

ये बताया हमने आपको कार्तिक पूर्णिमा का महत्व, इसके पीछे छिपी कहानी, हिंदू और सिख धर्म में इसका महत्व और इसके उपवास की विधि। इन्हें अपनाने से आपके घर में मां लक्ष्मी का वास होगा और आपको सभी समस्याओं से छुटकारा मिलेगा।