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Eid 2017: चांद के दीदार होने पर कल पूरे देश में मनाई जाएगी ईद

इस्लाम धर्म में रमजान खतम होने के बाद ईद मनाई जाती है। इस्लामिक कैलेन्डर के अनुसार ईद साल में दो बार आती है।

Updated on: 26 Jun 2017, 04:36 PM

highlights

  • इस्लामिक कैलेन्डर के अनुसार ईद साल में दो बार आती है
  • एक ईद-उल-फितर और दूसरी को ईद-उल-जुहा कहा जाता है

नई दिल्ली:

देश भर में इस बार ईद 26 जून को मनाई गई। मरकजी चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद ने रविवार को ऐलान किया है कि 26 तारीख को पूरे भारत में ईद मनाई जाएगी।

इससे पहले शनिवार को आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना डॉ. कल्बे सादिक ने कहा, 'इस साल 28 मई से रमजान शुरू हुआ था। ईद 26 जून को मनाई जाएगी।' ईद के नाम के साथ हमेशा चांद का भी जिक्र होता है। 

मलेशिया,कतर,तुर्की, सऊदी अरब और अन्य अरब देशों में आज ईद-उल-फितर मनाई गई

इस्लाम धर्म में रमजान खत्म होने के बाद ईद मनाई जाती है। इस्लामिक कैलेन्डर के अनुसार ईद साल में दो बार आती है। एक ईद-उल-फितर और दूसरी को ईद-उल-जुहा कहा जाता है।

ईद-उल-फितर को मीठी ईद भी कहा जाता है और ईद-उल-जुहा को बकरीद के नाम से भी जाना जाता है। ईद का चांद नजर आने पर उसी दिन ईद मनाई जाती है। कई बार एक ही देश में अलग-अलग दिन ईद मनाई जा सकती है ये चांद दिखने पर निर्भर करता है।

ईद के दिन मस्जिद में सुबह का नमाज पढ़ी जाती है और एक दूसरों से गले मिलकर मुबारकबाद देते हैं। ईद के दौरान बढ़िया खाने के साथ नए कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों का लेन-देन होता है। ईद के मौके पर सिवैया बड़े चाव से खिलाई और खाई जाती हैं।

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जाने क्या है रमजान?
रमजान खत्म होने पर ईद मनाई जाती है। इस्लाम धर्म में रमजान को सबसे पवित्र महीना माना जाता है। रमजान को अरबी भाषा में 'रमादान' कहते हैं। रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं।

इस बार पहला रोजा 15 घंटे लंबा होगा। रमजान के महीने में सूरज छिपने तक रोजा बिना कुछ खाये-पिए रखा जाता है। इस साल रमजान 28 मई से शुरू हो रहा है और 27 जून को खत्म होगा।

चांद दिखाई देने पर रोजे शुरु होते हैं और जिस शाम को चांद दिखाई देता है उसकी अगली सुबह से रोजे शुरू हो जाते हैं। मुस्लिम धर्म में रमजान सबसे पवित्र महीना माना जाता है और यह एक तरह का पर्व होता है जो इस्लामी कैलेन्डर के नौवें महीने में मनाया जाता है।

पूरी दुनिया में मुस्लिम समाज इसे पैगम्बर हजरत मोहम्मद पर पवित्र कुरान के अवतरण के उपलक्ष्य में उपवास और पूरी श्रद्धा से साथ मनाता है। इस माह को कुरान शरीफ के नाजिल का महीना भी माना जाता है।

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