Adi Shankaracharya: हिंदू धर्म में क्यों महत्वपूर्ण हैं शंकराचार्य, जानिए इसके बारे में धार्मिक तथ्य
Adi Shankaracharya: शंकराचार्य हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक गुरु और आचार्य हैं. उनका जन्म 8वीं सदी के उत्तरार्ध में हुआ था और उनका योगदान वेदान्त दर्शन के क्षेत्र में है. शंकराचार्य का वास्तविक नाम
नई दिल्ली :
Adi Shankaracharya: शंकराचार्य हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक गुरु और आचार्य हैं. उनका जन्म 8वीं सदी के उत्तरार्ध में हुआ था और उनका योगदान वेदान्त दर्शन के क्षेत्र में है. शंकराचार्य का वास्तविक नाम "आदि शंकर" था. शंकराचार्य को आद्वैत वेदान्त के संस्थापक के रूप में जाना जाता है. उन्होंने वेदान्त सिद्धांत को अद्वैत, यानी ब्रह्म और आत्मा की एकता के सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया. शंकराचार्य ने भारतीय उपमहाद्वीप को चार धामों में विभाजित किया, जो हैं बदरीनाथ, द्वारका, पुरी, और ऋषिकेश। इन्हे शंकराचार्य ने योग द्वारा यात्रा करके आध्यात्मिकता की प्रेरणा दी. बदरीनाथ मंदिर शंकराचार्य के द्वारा स्थापित किया गया था और यह एक प्रमुख चार धामों में से एक है. बदरीनाथ उत्तराखंड में स्थित है और यह विष्णु के बारे में प्रसिद्ध है. शंकराचार्य ने शृङ्गेरी मठ की स्थापना की थी, जो आज भी उनके आचार्य परंपरा का केंद्र है. यह मठ कर्नाटक राज्य में स्थित है और यह अद्वैत वेदान्त की प्रचार-प्रसार के लिए जाना जाता है. शंकराचार्य ने अनेक ग्रंथों की रचना की, जिनमें उनकी टीकाएं, भाष्य, और उपनिषद्वाक्यों का विवेचन शामिल है. उनके ग्रंथ संस्कृत और आध्यात्मिक साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. शंकराचार्य को "जगद्गुरु" कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'जगत के गुरु'. उनका योगदान हिंदू धर्म में आध्यात्मिकता के क्षेत्र में अद्वैत वेदान्त के सिद्धांत की प्रसार-प्रचार में अत्यंत महत्वपूर्ण है.
महत्वपूर्ण होती है पदवी
शंकराचार्य हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक गुरु और धार्मिक आचार्य का पद है जो आध्यात्मिक ज्ञान की रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित हैं. यह विशेषत: अद्वैत वेदान्त के प्रति अपनी सामर्थ्यपूर्ण विद्या के लिए प्रसिद्ध हैं. शंकराचार्य वेदान्त के प्रमुख आचार्य माने जाते हैं, और उनका योगदान अद्वैत वेदान्त दर्शन की उत्थान में महत्वपूर्ण है. उन्होंने वेदान्त के सिद्धांत को बुद्धिमत्ता से प्रस्तुत किया और उसे लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया. शंकराचार्य को "जगद्गुरु" कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है 'जगत के गुरु'. उन्होंने भारतीय समाज को आध्यात्मिक ज्ञान में प्रेरित किया और उनके उपदेशों ने लोगों को मोक्ष की प्राप्ति की मार्गदर्शन किया.
चार धाम और शृङ्गेरी मठ
शंकराचार्य ने भारतीय उपमहाद्वीप को चार धामों में विभाजित किया, जो हैं बदरीनाथ, द्वारका, पुरी, और ऋषिकेश. उन्होंने शृङ्गेरी मठ की स्थापना की, जो आज भी उनके आचार्य परंपरा का केंद्र है.
आद्वैत वेदान्त: शंकराचार्य ने आद्वैत वेदान्त का प्रचार-प्रसार किया, जिसमें ब्रह्म और आत्मा की एकता का सिद्धांत है. उनके द्वारा दी गई शास्त्रीय उपदेशों ने भारतीय धार्मिक साहित्य को प्रभावित किया है.
जीवन का उद्दीपन: शंकराचार्य ने अपने जीवन में विचार शीलता, संतुलन और दया के साथ जीने का उदाहरण प्रस्तुत किया. उनका जीवन आदर्श बना है जो आज भी लोगों को प्रेरित करता है.
शंकराचार्य का महत्व हिंदू धर्म में अत्यधिक है, और उनके उपदेशों ने आध्यात्मिक जगत को एक नए दिशा दी है.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप visit करें newsnationtv.com/religion
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Maa Laxmi Shubh Sanket: अगर आपको मिलते हैं ये 6 संकेत तो समझें मां लक्ष्मी का होने वाला है आगमन
-
Premanand Ji Maharaj : प्रेमानंद जी महाराज के इन विचारों से जीवन में आएगा बदलाव, मिलेगी कामयाबी
-
Aaj Ka Panchang 29 April 2024: क्या है 29 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Arthik Weekly Rashifal: इस हफ्ते इन राशियों पर मां लक्ष्मी रहेंगी मेहरबान, खूब कमाएंगे पैसा