Surya Arghya: सूर्य को अर्घ्य कब और कैसे दें, जानें इसके चमत्कारी लाभ
Surya Arghya: सूर्य को अर्घ्य देना हिन्दू धर्म में एक प्रमुख पूजा विधि है जो सूर्य भगवान की पूजा के लिए की जाती है. इसके लिए एक स्पेशल प्रकार का जल, खाद्य पदार्थ और फूलों का अर्घ्य तैयार किया जाता है. यह पूजा सूर्योदय के समय की जाती है.
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Surya Arghya: सूर्य को अर्घ्य देना हिन्दू धर्म में एक प्रमुख पूजा विधि है जो सूर्य भगवान की पूजा के लिए की जाती है. इसके लिए एक स्पेशल प्रकार का जल, खाद्य पदार्थ और फूलों का अर्घ्य तैयार किया जाता है. यह पूजा सूर्योदय के समय की जाती है, जब सूर्य की प्राचीन निधि से उगती है. अर्घ्य के लिए प्रयुक्त जल में कुम्भ या कलश से जल लिया जाता है, और फिर उसमें कुम्भकों से सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद, फूल और खाद्य पदार्थों को भी उसी जल में डालकर भगवान की पूजा की जाती है. सूर्य को अर्घ्य देने के बहुत से धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व हैं. इस प्रक्रिया का अनुसरण करने से मान्यता है कि सूर्य की कृपा और आशीर्वाद मिलते हैं, जो मनुष्य के जीवन में उत्तम स्वास्थ्य, समृद्धि और समाधान लाते हैं. वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए, सूर्य को अर्घ्य देने से सूर्य के अन्दर भक्ति और आदर की भावना प्रकट होती है, जो मानव के मनोबल को बढ़ाती है और उसके मन में शांति और सकारात्मकता का भाव उत्पन्न करती है. इस प्रकार, सूर्य को अर्घ्य देना धार्मिक, आध्यात्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है.
सूर्य को अर्घ्य देने के अनेक लाभ हैं, जिनमें शामिल हैं:
1. स्वास्थ्य लाभ: सूर्य को जल अर्पित करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है. यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है. यह त्वचा रोगों से मुक्ति दिलाता है. यह आंखों के लिए फायदेमंद होता है.
2. मानसिक लाभ: सूर्य को जल अर्पित करने से मन शांत और एकाग्र होता है. यह नकारात्मक विचारों को दूर करता है. यह आत्मविश्वास और ऊर्जा में वृद्धि करता है.
3. आध्यात्मिक लाभ: सूर्य को जल अर्पित करने से ग्रहों की शुभता बढ़ती है. यह कर्मों का शुभ फल प्रदान करता है. यह मोक्ष प्राप्ति में सहायक होता है.
4. सामाजिक लाभ: सूर्य को जल अर्पित करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ती है. यह परिवार में प्रेम और स्नेह का बंधन मजबूत करता है. यह समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि करता है.
सूर्य को अर्घ्य देने की विधि:
सूर्योदय से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
तांबे या पीतल के लोटे में जल भरें.
लोटे में थोड़ा सा चावल, रोली, मोली और चंदन मिलाएं.
सूर्य की ओर मुख करके खड़े हों और जल अर्पित करें.
"ॐ सूर्याय नमः" मंत्र का जाप करें.
सूर्य को अर्घ्य देते समय इस श्लोक का पाठ करें:
"ॐ अग्निदेवस्य नमस्काराय,
आदित्याय नमस्काराय,
भास्कराय नमस्काराय,
मरीचये नमस्काराय,
सवित्रे नमस्काराय."
सूर्य को अर्घ्य देते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. सूर्य को अर्घ्य हमेशा तांबे या पीतल के लोटे से ही देना चाहिए. जल में चावल, रोली, मोली और चंदन मिलाना शुभ माना जाता है. सूर्य को अर्घ्य हमेशा सूर्योदय से पहले ही देना चाहिए. सूर्य को अर्घ्य देते समय मन शांत और एकाग्र होना चाहिए. सूर्य को अर्घ्य देना एक सरल और लाभकारी उपाय है. यह स्वास्थ्य, धन, समृद्धि और मोक्ष प्राप्ति में सहायक होता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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