Paush Purnima 2023 Date: नए साल में बनेंगे तीन शुभ योग, सारी मनोकामना होंगी पूरी
हिंदू धर्म में पूर्णमा और अमावस्या तिथि का खसा महत्व है
नई दिल्ली :
Paush Purnima 2023 Date: हिंदू धर्म में पूर्णमा और अमावस्या तिथि का खास महत्व है. नए साल 2023 में पौष माह की पूर्णिमा दिनांक 06 जनवरी 2023 को है. इसके बाद माघ आरंभ हो जाएगा. पूर्णिमा तिथि शुक्ल पक्ष का आखिरी दिन होता है. और शास्त्रों में शुक्ल पक्ष को देवताओं का समय कहा जाता है. पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के साथ लक्ष्मी-नार्यण की पूजा भी की जाती है.इस दिन व्रत रखकर घर में सत्यनारायण की कथा करने से व्यक्ति जीवन में सुख भोगता है. और मृत्यु के बाद अगले जन्म में भी धन, शांति और समृद्धि पाता है. साल 2023 की पहली पूर्णिमा बहुत खास मानी जा रही है. तो ऐसे में आइए जानते हैं कि पौष पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त, शुभ योग और पूजा विधि क्या है.
खास बात ये है कि पूर्णिमा तिथि और शुक्रवार का दिन दोनों ही लक्ष्मी जी को समर्पित है. ऐसे में पौष पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने का खास अवसर है. इस दिन कू गई पूजा और उपायों से जीवन में खुशियों का आगमन होता है.. वहीं पौष पूर्णिमा पर ब्रह्म, इंद्र और सर्वार्थ सिद्धि योग बनने जा रहा है. जो इस दिन के महत्व को दोगुना कर देता है.
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इस दिन बनने जा रहा है तीन शुभ योग
1. इंद्र योग
दिनांक 06 जनवरी 2023 को सुबह 08 बजकर 11 मिनट से लेकर अगले दिन दिनांक 07 जनवरी 2023 को सुबह 08 बजकर 55 मिनट तक रहेगा.
2.ब्रह्म योग
दिनांत 05 जनवरी 2023 को सुबह 07 बजकर 34 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 08 बजकर 11 मिनट तक रहेगा.
3.सर्वार्थ सिद्धि योग
दिनांक 07 जनवरी 2023 को सुबह 12 बजकर 14 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 06 बजकर 38 मिनट तक रहेगा.
क्या है पौष पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
पौष पूर्णिमा तिथि का शुभ मुहूर्त दिनांक 06 जनवरी 2023 को सुबह 02 बजकर 14 मिनटसे लेकर अगले दिन दिनांक 07 जनवरी 2023 को सुबह 04 बजकर 37 मिनट तक रहेगा. वहीं इस तिथि का शुभ अभिजित मुहूर्त दिनांक 06 जनवरी 2023 को सुबह 11 बजकर 33 मिनट से लेकर 12 बजतर 15 मिनट तक रहेगा.
चंद्रोदय समय शाम 04 बजकर 32 मिनट पर है. मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का पूजा करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है.
क्या है पौष पूर्णिमा की पूजा विधि
पौष माह की पूर्णा को शांकभरी पूर्णा भी कहा जाता है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पानी में थोड़ा गंगा जल डालकर स्नान करें.
व्रत का संकल्प लेकर लक्ष्मी नारायण की रोली, मौली, हल्दी, फूल, फल, मिठाई, पंचामृत, नेवैद्द से पूजा करें
भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ें, श्रीहरि का भजन- कीर्तन करें.
शाम के समय चंद्रमा को दूध में चीनी, चावल मिलाकर अर्घ्य दें, अगर संभव हो तो आधी रात में माता लक्ष्मी की पूजा करें.
मान्यता है कि पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की रात्रि में पूजा करने से घर में देवी लक्ष्मी स्थिर होती हैं.
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