Panch Pyare Kaun Kahlaye: सिख धर्म के पंच प्यारे कौन थे, जानें सिखों के इतिहास में इनका योगदान
Panch Pyare Kaun Kahlaye: सिख धर्म में पंच प्यारों का बहुत महत्व है. इन्होंने सिखों का इतिहास रचने में कितना बड़ा योगदान दिया और इनका नाम कैसे पंच प्यारे पड़ा आइए जानते हैं.
नई दिल्ली:
Panch Pyare Kaun Kahlaye: सिखों के दसवें गुरू गुरु गोविन्द सिंह के कहने पर धर्म की रक्षा के लिये अपना-अपना सिर कटवाने के उनके जो पांच साथी तैयार हुए उन्हें सिखों के इतिहास में पंच प्यारे कहा जाता है. गुरु गोबिंद सिंह जी ने इन्हें अमृत पिलाया था. 1699 में सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने पांच लोगों को ( भाई दया सिंह, भाई साहिब सिंह, भाई धर्म सिंह, भाई हिम्मत सिंह, भाई मोहकम सिंह) को यह नाम दिया था. पंच प्यारे सिख धर्म में पांच भक्तों का समूह है जो गुरु गोबिंद सिंह जी के समय में उनके साथ थे. गुरु गोबिंद सिंह जी ने इन पंच प्यारों को खालसा पंथ की स्थापना के लिए अपने साथ रखा था और उन्हें खालसा समुदाय के स्थानांतरण करने का कारण भी बनाया था.
पंच प्यारे कौन थे ?
भाई दया सिंह: उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह जी के लिए अपना सर्वप्रथम सिर गाड़ दिया और खालसा पंथ की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
भाई धरम सिंह: वे भी गुरु गोबिंद सिंह जी के सच्चे भक्त थे और उन्होंने खालसा पंथ के उत्थान के लिए अपनी शहादत दी.
भाई मोहकम सिंह: उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह जी के लिए अपनी बलि दी और उनके साथ खालसा समुदाय की रचना में योगदान किया.
भाई सहीब सिंह: उन्होंने भी गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ अपनी जान की बलि दी और खालसा पंथ की स्थापना में भाग लिया.
भाई हेम सिंह: वे भी गुरु गोबिंद सिंह जी के विश्वासपूर्वक भक्त थे और उन्होंने खालसा समुदाय की उत्थान के लिए अपना सब कुछ बलिदान किया.
इन पंच प्यारों ने गुरु गोबिंद सिंह जी के आदेशों का पालन करते हुए खालसा पंथ की स्थापना में अहम भूमिका निभाई और उनकी शिक्षा का पालन किया. इन्हें खालसा ब्रिगेड भी कहा जाता है. कहते हैं कि इन पंज प्यारों ने सिख इतिहास को मूल आधार प्रदान किया और सिख धर्म को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। इन आध्यात्मिक योद्धाओं ने न केवल युद्ध के मैदान में विरोधियों से लड़ने की शपथ ली, बल्कि विनम्रता और सेवा भाव को भी दिखाया। पंज प्यारों को खंडा दी पाहुल को शुरू करने, गुरुद्वारा भवन की आधारशिला रखने, कार-सेवा का उद्घाटन करने, प्रमुख धार्मिक जुलूसों का नेतृत्व करने या सिख धर्म से जुड़े सभी प्रमुख कार्यों व समारोहों में अहमियत दी जाती है। आज भी पंज प्यारों को नगर कीर्तन या शोभा यात्रा के दौरान विशेष महत्व दिया जाता है और वे ही शोभा यात्रा का प्रतिनिधित्व करते हैं
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
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