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भैया दूज 2017: भाई को इस शुभ मुहूर्त में लगाएं तिलक, साथ ही पढ़े इसकी पौराणिक कहानी, पूजा की विधि

हिंदु धर्म के अनुसार, इस दिन बहनें अपनी भाइयों के रोली और अक्षत से तिलक करके उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं।

Updated on: 21 Oct 2017, 01:55 AM

नई दिल्ली:

भाई-बहन के प्रेम का त्योहार भाई दूज शनिवार 21 अक्टूबर मनाया जा रहा है। इसे भैया दूज भी कहते हैं, यह दीवाली के दूसरे दिन कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की मनाया जाता है।

हिंदु धर्म के अनुसार, इस दिन बहनें अपनी भाइयों के रोली और अक्षत से तिलक करके उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं। रक्षा बंधन की तरह ही यह त्योहार भी विशेष महत्व रखता है।

इसे भाई बहन के प्यार और त्याग का प्रतीक माना जाता है। आइए आपको बताते हैं भैया दूज की पूजा करने की विधि, मंत्र, शुभ मु​हूर्त और इसके ​पीछे छिपी कहानी के बारें में।

पूजा करने की विधि

भैया दूज के दिन बहनें अपने भाई की पूजा करने से पहले आसन पर चावल के घोल से चौक बनाएं। रोली, चावल, घी का दिया और मिठाई से थाली सजाएं।

इसके बाद बहन भाई के माथे पर तिलक लगाएं, कलावा बांधे और मिठाई खिलाए और उसकी लंबी उम्र की कामना करें। भाई भी बहन से तिलक लगाने के बाद उसे उपहार दें।

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भैया दूज 2017 शुभ मुहूर्त

तिलक का शुभ मुहूर्त: सुबह 7.50 बजे से 9.15 बजे तक है। जो लोग इस समय त्योहार नहीं कर सकते वह सुबह 10.38 बजे से 1.26 बजे तक भी तिलक कर सकते हैं। प्रात: 9.15 बजे से 10.38 बजे तक राहुकाल रहेगा।

20 अक्तूबर को द्वितीया तिथि रात 1 बजकर 27 बजे प्रारंभ होगी, जो कि 21 अक्तूबर को रात 2 बजकर 50 मिनट तक रहेगी।

भैया दूज के पीछे क्या है कहानी

यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत प्यार करते थे, लेकिन ज्यादा काम होने के कारण अपनी बहन से मिलने नहीं जा पाते। एक दिन यम अपनी बहन की नाराजगी को दूर करने के लिए मिलने चले गए। यमुना अपने भाई को देख खुश हो गई और उन्होंने भाई के लिए अच्छे अच्छे पकवान बनाये और आदर सत्कार किया।

बहन का प्यार देखकर यमराज बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने यमुना को खूब सारे उपहार भेंट किए। यम जब बहन के घर से जाने लगे, तो उन्होंने बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा।

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इस पर यमुना ने कहा कि यदि आप मुझे वर देना ही चाहते हैं, तो यह दीजिए कि आज के दिन हर साल आप मेरे यहां आए और मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगे। यह बात यमराज ने मान ली और अपनी बहन को वरदान दे दिया। कहा जाता है इसी के बाद से हर साल दीवाली के दूसरे दिन भैया दूज का त्योहार मनाया जाने लगा।

भाई को तिलक करते हुए पढ़ें ये मंत्र
गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को सुभद्रा पूजे कृष्ण को गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें फूले फलें..

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