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400 साल पहले 2 फीट की थी मूर्ति, अब हो गई है 12 फीट ऊंची, जानें भूफोड़ हनुमान जी की रहस्यमयी कहानी

आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जो अपने आप में चमत्कारी है. यह मंदिर छत्तीसगढ़ में है.

Updated on: 23 Apr 2024, 07:00 PM

नई दिल्ली:

देशभर में आज महावीर जयंती धूमधाम से मनाई गई. इस मौके पर सभी ने मंदिर जाकर हिंदू धर्म के आराध्य देव बजरंग बली की पूजा की और कुछ लोगों ने अपने घरों में ही भगवान का स्मरण किया. ऐसे में आज हम आपको बजरंग बली से जुड़ी एक ऐसी कहानी बताएंगे, जिसे जानने के बाद आप चौंक जाएंगे कि क्या सच में ऐसा हो सकता है? हां ऐसा बिल्कुल हो सकता है. छत्तीसगढ़ के बालोद जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम कमरौद में भगवान बजरंग बली जी का एक मंदिर हैं. 

भगवान बजरंगबली सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं

इस मंदिर के बारे में वहां के स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि यह मंदिर काफी चमत्कारी है. अगर कोई भी व्यक्ति महावीर जयंती के दिन भगवान बजरंग बली से मनोकामना मांगता है तो वह अवश्य पूरी होती है. इस मंदिर की स्थापना ठीक 400 साल पहले की गई थी. मंदिर के अंदर स्थापित बंजरग बाली को वहां के लोग चमत्कारी मानते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि एक बार मंदिर में जाकर भगवान बजरंग बली से बात करने से आपकी मनोकामना पूरी हो जाती है. हनुमान जी की चर्चा अब छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में भी होने लगी है.इसी कारण दूर-दूर से लोग भगवान के दर्शन के लिए आते हैं.

इस तरह मंदिर की हुई थी स्थापना

अगर इस मंदिर के इतिहास की बात करें तो 400 साल पहले बालोद जिले के कमरौद गांव में एक किसान खेत में काम कर रहा था. वह अपने खेत को हल से जोत रहा था. इसी दौरान उसका हल किसी चीज पर फंस गया और जब किसान ने उसे निकालने की कोशिश की तो हल के नीचे उन्हें बजरंग बली की मूर्ति मिली और फिर इस मूर्ति की स्थापना कर पूजा-अर्चना शुरू कर दी गई. इस मंदिर को भूफोड़ हनुमान जी के नाम से भी जाना जाता है.

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पहले थी 2 फीट की मूर्ति

सबसे आश्चर्यजनक कहानी तो यह है कि हनुमान जी की मूर्ति भी बढ़ती है. वहां के लोगों का मानना ​​है कि जब पहली बार मंदिर बनाया गया था तो यह बहुत छोटा था लेकिन समय के साथ मूर्ति की ऊंचाई बढ़ती गई, जिसके कारण मंदिर का पुनर्निर्माण कई बार किया गया. कई बार तो छत भी टूट गयी. इसके बाद दोबारा मंदिर का निर्माण कराया गया. दावा किया जाता है कि यह मूर्ति 2 फीट ऊंची थी लेकिन आज मूर्ति की लंबाई अब 12 फीट हो गई है.