'किंगफिशर' की तरह उड़ गए विजय माल्या - हाई कोर्ट
जैसे किंगफिशर चिड़िया को कोई उड़ने से नहीं रोक सकता उसे कोई सीमा या दीवार नहीं रोक सकती उसी तरह अपने नाम के अनुरूप विजय माल्या को भी कोई सीमा या दीवार नहीं रोक पाई
मुंबई:
सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से उद्योगपति विजय माल्या के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने रोचक टिप्पणी की। बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एससी धर्माधिकारी और बीपी कोलाबवाला की बेंच ने कहा क्या किसी को पता हैं उन्होंने अपनी कंपनी का नाम किंगफिशर ही क्यों रखा।
उन्होंने कंपनी का ये नाम इसलिए रखा क्योंकि जैसे किंगफिशर चिड़िया को कोई उड़ने से नहीं रोक सकता उसे कोई सीमा या दीवार नहीं रोक सकती उसी तरह अपने नाम के अनुरूप विजय माल्या को भी कोई सीमा या दीवार नहीं रोक पाई।
कोर्ट में दायर याचिका में सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट ने कहा है कि साल 2011-12 में किंगफिशर एयरलाइन्स ने जो टिकट बेचे उस पर करीब 32 करोड़ 68 लाख रुपये का सर्विस टैक्स अदा नहीं किया गया इसके साथ ही उनपर सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट का करीब 532 करोड़ रुपये बकाया है जो उन्होंने अबतक नहीं चुकाया है।
दूसरी याचिका में डिपार्टमेंट न बकाया पैसा वसूलने के लिए माल्या के प्राइवेट जेट को दोबारा से नीलाम करने की अनुमित कोर्ट से मांगी है जिसपर हाई कोर्ट 26 सितंबर को सुनवाई करेगी.। गौरतलब है कि वाइन किंग के नाम पर मशहूर उद्योगपति विजय माल्या पर करीब 17 बैंकों का 9 हजार करोड़ रुपये कर्ज लेकर भाग जाने का आरोप है और कोर्ट ने उन्हें इस आरोप में भगोड़ा अपराधी घोषित कर रखा है। विजय माल्या अभी लंदन में रह रहे हैं.
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