पहली बार पुलीकली नृत्य में महिलाएं भी लेंगी हिस्सा
पहली बार केरल के मश्हूर पुलीकली नृत्य में महिलाएं भी हिस्सा लेती नजर आएंगी।
नई दिल्ली:
पहली बार पुलीकली नृत्य में महिलाएं भी हिस्सा ले रही हैं। केरल के मश्हूर फेस्टीवल ओनम के दौरान एक खास लोक नृत्य पेश किया जाता है जिसको पुलीकली कहते हैं। अबतक इस नृत्य को सिर्फ पुरूष ही पेश करते आए हैं।
अब सी भी फील्ड में पीछे नहीं हैं। इसी का बेहतरीन उदाहरण पेश कर रही हैं थ्रिसर की महिलाएं। इस साल लिंग असामनता में भेद करते हुए एक पुलीकली डांस पेश करेंगी।
पुलीकाली के में शेर के डिजाइन वाले कपड़े पहने जाते हैं। बड़ी संख्या में प्रशिक्षित कलाकार इसमें भाग लेते हैं।दरअसल तीन महिलाएं इस नृत्य में हिस्सा ले रही हैं। ये नृत्य मश्हूर वाडाकुन्नाथा मंदिर में पेश किया जाएगा। पुलीकली किसी इंसान की बहादुरी और चंचलता का प्रतीक है।
यहाँ तीन लड़कियां एन ए विनाया, दिव्या और सकीना एक साथ इस प्रोग्राम को पेश करेंगी। ये सभी महिलाएं अलग अलग व्यवसाय से संबंध रखती हैं और एक एन जी ओ से जुड़ी हुई हैं।
वहीं विनाया ने कहा कि "ये उनके लिए एक मौका है इस इलाके में अपना नाम रौशन करने का जबकि आज
तक इसमें सिर्फ पुरूषों का दबदबा था"। अपनी बात रखते हुए वो कहती हैं कि "ये तो बस शुरूआत है और हम चाहते हैं कि ज्यादा महिलाएं इसमें हिस्सा लें"। इसमें बुजुर्ग महिलाओं के शामिल होने की बात भी कही जा रही है।
ये लोग जब नृत्य करते हुए निकलते हैं तो ऐसा प्रतीत होता है मानो बाघ ही रस्ते पर निकल आया हो और अपने हाथ पैर थिरका कर नृत्य करना शुरू कर चुका है। बड़ी तादाद में लोग सड़कों पर इस फेस्टीवल को देखने के लिए निकलते हैं। इस टाइगर पेंटिंग में पाँच से सात घंटे का समय लगता है।
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