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तमिलनाडु: NEET के खिलाफ लड़ने वाली लड़की ने की आत्महत्या

नीट के खिलाफ लड़ने वाली मेडिकल उम्मीदवार एस अनीता ने सेंदुरै के पास अपने गांव कुजुमूर के अपने घर पर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली

Updated on: 02 Sep 2017, 12:47 AM

नई दिल्ली:

नेशनल एलिजबिलिटी कम एन्ट्रन्स टेस्ट (नीट) के खिलाफ लड़ने वाली सत्रह वर्षीय मेडिकल उम्मीदवार एस अनीता ने शुक्रवार को अपने जीवन का संघर्ष समाप्त कर लिया।

तमिलनाडु स्टेट बोर्ड की छात्रा अनीता ने सेंदुरै के पास अपने गांव कुजुमूर के अपने घर पर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली।

बता दें कि अनीता ने सुप्रीम कोर्ट में नीट के खिलाफ याचिका दायर की थी जिसे कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया था।

एक दैनिक वेतन मजदूर की बेटी अनिता, अनुसूचित जाति से थी। पढ़ने में बेहद होशियार छात्र ने 12 वीं कक्षा में 1200 अंकों में से 1,176 अंक हासिल किये थे।

साथ ही मेडिकल की परीक्षा में उसके 196.75 मार्क्स थे। लेकिन वह नीट की परीक्षा में 86 अंक ही हासिल कर पाई थी। जिससे उसका मेडिकल में चयन नहीं हो सका और उसने आत्महत्या कर ली।

सुप्रीम कोर्ट में नीट को चुनौती देते हुए अनीता ने जवाब मांगा था। अनीता ने मीडिया से कहा था, 'मैं एक डॉक्टर बनना चाहती हूं और अगर मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश बारहवीं के अंकों पर होता है तो मुझे निश्चित तौर पर सीट मिलेगी।'

तमिलनाडु में पिछले साल तक मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पूरी तरह से बारहवीं के अंकों पर आधारित थे। केंद्र सरकार ने पिछले साल मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए नीट लाया था, लेकिन तमिलनाडु को इससे छूट मिली थी।

इस वर्ष भी, राज्य सरकार ने छूट की मांग की थी और विधान सभा ने मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए मौजूदा व्यवस्था को जारी रखने के लिए बिल पेश किया था।

केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमन ने पहले कहा था कि केंद्र सरकार तमिलनाडु के बिल का समर्थन करेगी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने अपना रुख बदल दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को तमिलनाडु सरकार को 4 सितंबर तक नीट की मेरिट लिस्ट के आधार पर राज्य में मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया था।

यहां जारी एक बयान में पूर्व केंद्रीय मंत्री और पीएमके नेता अंबुमणि रामदास ने इस आत्महत्या के लिए केंद्रीय और राज्य सरकारों को दोषी ठहराया है।

अनीता के माता-पिता को उनकी संवेदना व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी की अध्यक्षता वाली राज्य सरकार और केंद्र सरकार को उनकी मृत्यु की जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए क्योंकि उन्होंने शुरू में आश्वासन दिया था कि तमिलनाडु को नीट से एक साल की छूट मिलेगी।'

पीएमके नेता ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि ग्रामीण छात्रों की तरफ से नीट के खिलाफ आवाज उठाने वाली अनीता ने आत्महत्या का रास्ता क्यूं अपनाया।

वहीं राज्य सरकार की तरफ से इस घटना के लिए 7 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया गया है।

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