राजस्थान चुनाव निकट, बड़ा सवाल- कौन होगा कांग्रेस का चेहरा?
गुजरात के चुनाव से निकलते सबक से राहुल गांधी तेजी से सीख ले तो बहुत संभव है कि आने वाले 2018 में राजस्थान के विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कांग्रेस कर पाए।
नई दिल्ली:
गुजरात के चुनाव से सबक लेते हुए अगर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तेजी से सीख लें तो बहुत संभव है कि आने वाले 2018 में राजस्थान के विधानसभा चुनाव में पार्टी बेहतर प्रदर्शन कर पाए।
अगले साल होने वाले चुनावी राज्यों में राजस्थान एक अहम राज्य है। अगर रुझानों पर गौर करें तो लगता है कि राजस्थान में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में कांटे की टक्कर है और अगर कांग्रेस अपने पत्ते ठीक से खोले तो राजस्थान की चुनावी बाजी कांग्रेस जीत सकती है।
हालांकि कांग्रेस के साथ एक बड़ी दिक्कत है यह है कि उसे अभी तक नहीं पता कि 2018 के चुनाव अभियान की अगुवाई कौन करेगा। सचिन पायलट, अशोक गहलोत या सीपी जोशी।
जमीनी स्तर पर सचिन पायलट और अशोक गहलोत की चर्चा जोरों पर है लेकिन कांग्रेस को डर यह है कि अगर किसी एक नेता को आगे करके चुनाव लड़ा जाए तो पार्टी के भीतर भीतरघात हो सकता है।
बीजेपी शासित 4 राज्यों में पद्मावत पर रोक, बैन के खिलाफ कोर्ट पहुंचे भंसाली
सचिन पायलट राहुल गांधी की करीबी है तो ऐसा माना जा रहा है कि सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस का चेहरा हो सकते है लेकिन वहीं गुजरात विधानसभा चुनाव का प्रभार देख रहे अशोक गहलोत भी इस दौड़ में पीछे नहीं है, क्योंकि गुजरात में शानदार प्रदर्शन का सेहरा अशोक गहलोत को भी जाता है।
ऐसे में अशोक गहलोत चाहते होंगे कि विधानसभा चुनाव उनके ही नेतृत्व में लड़ा जाए। राजस्थान में कांग्रेस की सियासी लड़ाई लगातार बदलती जा रही है अशोक गहलोत, सचिन पायलट, सी पी जोशी ये तीनों ही नेता अपनी-अपनी भी बिसात बिछाने में जुट गए हैं।
ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आलाकमान का भरोसा कौन जीतता है। वहीं कांग्रेस महासचिव राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे का कहना है की पार्टी के भीतर कोई गड़बड़ नहीं है सभी नेता एकजुट हैं सभी मिलकर राजस्थान में कांग्रेस के जमीन मजबूत कर रहे हैं।
क्षेत्रीय नेता चुनना होगा
राहुल गांधी को पंजाब की जीत और गुजरात की हार से यह सीख मिल चुकी है कि विधानसभा के चुनाव में काबिल और लोकप्रिय क्षेत्रीय नेता का कोई विकल्प नहीं होता है।
राजस्थान के शिक्षा मंत्री ने कहा, गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत न्यूटन ने नहीं ब्रह्मगुप्त-II ने दिया था
इसलिए बेहतर होगा की पार्टी के फायदे के लिए विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार के साथ उतरा जाए ताकि मतदाता के सामने यह विकल्प रहे कि वह किसे चुन रहा है।
माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस बात पर जल्द ही फैसला करने वाले हैं।
सूत्रों की मानें तो अशोक गहलोत को राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार कमेटी का अध्यक्ष बनाया जा सकता है क्योंकि पार्टी को लगता है कि गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और राजस्थान को अच्छे से समझते हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि सचिन पायलट की भूमिका क्या होगी। सचिन पायलट राहुल गांधी के कोर टीम का हिस्सा है जो उनके लिए प्लस पॉइंट है।
दरअसल राजस्थान में साल 2013 में गहलोत की करारी हार हुई थी कांग्रेस ने 200 सीटों वाली राजस्थान की विधानसभा की 90 फी़सदी सीटें गवां दी थी।
राजस्थान में अब नाबालिग के साथ बलात्कार करने पर दोषी को मिलेगी फांसी, सरकार ने तैयार किया ड्राफ्ट
इसके बाद सचिन पायलट को राजस्थान की कमान दी गई, लेकिन पायलट के साथ एक मुश्किल है उनकी छवि राजनेता की नहीं है और कांग्रेस के भीतर उनके प्रति स्वीकार भाव भी कुछ खास नहीं है साथ ही सूबे में जातियों का गणित सचिन पायलट के पक्ष में नहीं है।
सचिन पायलट और अशोक गहलोत का जातीय गणित
पायलट गुर्जर है राजस्थान के मतदाताओं में गुर्जरों की तादात 5 से 7% है गुर्जर मतदाताओं की ताकत उत्तरी पूर्वी जिले में बिखरे हुए हैं। दूसरे इसी इलाके में जनजातियों में शामिल मीणाओं की दमदार मौजूदगी है।
मीणाओं को गुर्जरों का सियासी प्रतिद्वंदी माना जाता है। राजस्थान जैसे राज्य में जहां राजनीति में जातियां अहम भूमिका निभाती हैं और सियासत की नई लकीर खींचती है, तो किसी गुर्जर को चुनाव अभियान का चेहरा बनाकर पेश करना कांग्रेस के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
राजस्थान: बीजेपी विधायक के बिगड़े बोल, मुसलमान आबादी बढ़ाकर देश पर करना चाहते हैं कब्जा
वहीं अशोक गहलोत माली जाति से आते हैं और इस समुदाय की सूबे में कोई खास तादात नहीं है और जाट मतदाता 12 से 14% है ऐसा माना जाता रहा है कि जाट मतदाता गहलोत को अपना मत नहीं देते हैं।
गहलोत को नेता के रूप में पेश करने से मतदाताओं की एक बड़ी तादाद कांग्रेस के पाले से खिसक सकती है, लेकिन गुजरात में शानदार प्रदर्शन के बाद अशोक गहलोत की राजनीतिक ताकत बढ़ी है जो उनके लिए राजस्थान में फायदेमंद साबित हो सकती हैं।
अब बात अगर सी पी जोशी की करें तो वो भी राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं, लेकिन सीपी जोशी की राजस्थान में पकड़ कमजोर मानी जाती है वही सचिन पायलट के खिलाफ चल रहे आंदोलन संघर्ष में सीपी जोशी को अशोक गहलोत के सहयोगी के रुप में देखा जाता है।
इन सब के इतर राहुल गांधी की कोशिश है कि राजस्थान में किसी युवा को आगे बढ़ाया जाए ताकि नई लीडरशिप को आगे बढ़ाया जा सके।
यह भी पढ़ें: इंदिरा गांधी बनेंगी विद्या बालन, किताब के अधिकार हासिल किए
कारोबार से जुड़ी ख़बरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Hanuman Jayanti 2024: दिल्ली के प्राचीन हनुमान मंदिर में आज लगी है जबरदस्त भीड़, जानें इसका इतिहास
-
Jyotish Upay: आधी रात में भूत-प्रेत के डर से बचने के लिए मंत्र और उपाय
-
Hanuman Jayanti 2024 Wishes: आज हनुमान जयंती की पूजा के ये हैं 3 शुभ मुहूर्त, इन शुभ संदेशों के साथ करें सबको विश
-
Maa Laxmi Upay: देवी लक्ष्मी की चैत्र पूर्णिमा की रात करें ये उपाय, पाएं धन-वैभव और समृद्धि