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त्रिपुरा विधानसभा उपाध्यक्ष ने कहा, मुख्यमंत्री की स्वतंत्रता दिवस स्पीच रोकने के लिए संसद जवाबदेह

त्रिपुरा विधानसभा उपाध्यक्ष पबित्रा कार ने मुख्यमंत्री के स्वतंत्रता दिवस के भाषण को प्रसारित नहीं करने के बाद देश के संघीय ढ़ांचे पर सवाल कर दिया है।

Updated on: 16 Aug 2017, 05:17 PM

highlights

  • मुख्यमंत्री ने इस बैन को 'अलोकतांत्रिक, निरंकुश और असहिष्णु कदम' करार दिया
  • सीपीआईएम ने प्रसारण रोकने वाले जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग की है

नई दिल्ली:

त्रिपुरा के विधानसभा उपाध्यक्ष पबित्रा कार ने मुख्यमंत्री के स्वतंत्रता दिवस के भाषण को प्रसारित नहीं करने के बाद देश के संघीय ढांचे पर सवाल खड़ा कर दिया । मुख्यमंत्री माणिक सरकार के स्वतंत्रता दिवस पर भाषण को दूरदर्शन और आकाशवाणी पर  प्रसारित नहीं करने के आरोपों के बाद यह बयान सामने आया है।

पबित्रा कार ने कहा, 'अगर मुख्यमंत्री कुछ भी कहते हैं, तो इसे प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। इसमें संसद और विधानसभा को जवाबदेह होना चाहिए। हम इसका विरोध करते हैं। अगर इस तरह की चीजें करी जा सकती हैं, तो भारत एक संघीय राज्य कैसे हो सकता है?'

हालांकि दूरदर्शन केन्द्र अगरतला ने मुख्यमंत्री के आरोपों को झूठा ठहराया है। दूरदर्शन ने जवाब दिया है कि लोकल स्टेशन पर माननीय मुख्यमंत्री के जन संबोधन को प्रसारित किया गया था।

मुख्यमंत्री ने मंगलवार को आरोप लगाया था कि, स्वतंत्रता दिवस पर उनके भाषण को दूरदर्शन और आकाशवाणी ने प्रसारित करने से मना कर दिया। साथ ही उनपर भाषण को बदलने का दबाव बनाया और कहा कि बदलाव करने के बाद ही इसे प्रसारित किया जाएगा।

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सीपीएम ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर विरोध दर्ज कराते हुए लिखा, 'दूरदर्शन ने त्रिपुरा के सीएम माणिक सरकार का भाषण प्रसारित करने से इनकार किया। क्या प्रधानमंत्री मोदी इसी सहयोगात्मक संघवाद की बात करते हैं? शर्म की बात है।'

मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने भी इसे 'अलोकतांत्रिक, निरंकुश और असहिष्णु कदम' करार दिया है। सीपीएम ने इसे मुख्यमंत्री के जनता को संबोधित करने के अधिकारों का हनन और त्रिपुरा की जनता का अपमान बताया है, साथ ही प्रसारण रोकने वाले जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग की है।

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