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शतरंज: गैरी कास्परोव ने संन्यास से की वापसी, '100 आखों वाला' बादशाह अमेरिकी टूर्नामेंट में लेगा हिस्सा

शतरंज की दुनिया पर 15 साल से ज्यादा तक अपना दबदबा कायम रखने वाले कास्परोव यूएस टूर्नामेंट में शीर्ष 9 खिलाड़ियों के खिलाफ खेलेंगे। विश्वनाथन आनंद भी इस प्रतियोगिता में भाग लेंगे।

Updated on: 06 Jul 2017, 06:47 PM

highlights

  • कास्परोव ने 22 साल की उम्र में विश्व चैम्पियन बनकर दुनिया को पहली बार चौंकाया था
  • 2005 में शतरंज की दुनिया को कहा था अलविदा, फिर राजनीति की ओर मुड़े
  • ब्लादिमीर पुतिन के रहे हैं आलोचक, 2013 में ली क्रोएशिया की नागरिकता

नई दिल्ली:

पूर्व वर्ल्ड चेस चैम्पियन गैरी कास्परोव ने संन्यास से वापसी करते हुए अगले महीने यूएस टूर्नामेंट में हिस्सा लेने का फैसला किया है। टूर्नामेंट के आयोजकों ने इसकी घोषणा की है।

शतरंज की दुनिया पर 15 साल से ज्यादा तक अपना दबदबा कायम रखने वाले कास्परोव यूएस टूर्नामेंट में शीर्ष 9 खिलाड़ियों के खिलाफ खेलेंगे। शतरंज की दुनिया में कास्परोव के दबदबे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें '100 आखों वाला' कहा जाता है जो चेस के बोर्ड पर सबकुछ देख सकता है।

54 वर्षीय कास्परोव अब इंटरनेशनल शतरंज में सबसे उम्रदराज खिलाड़ी होंगे। दुनिया के 12वें रैंक के खिलाड़ी भारत के महान शतरंज खिलाड़ी 47 साल के विश्वनाथन आनंद भी इस प्रतियोगिता में भाग लेंगे।

कास्परोव ने 2005 में शतरंज की दुनिया को अलविदा कहा था और राजनीति की ओर मुड़ गए थे। रूस में उन्होंने राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के खिलाफ तब 'दि अदर रसिया' नाम से एक आंदोलन खड़ा किया और पुतिन पर देश को पुराने तानाशाही दौर में ले जाने का आरोप लगाया था।

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इसके बाद वह रूस की राजनीति में एक मजबूत आवाज भी बने और यहां तक की 2008 में पुतिन के खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव में भी उतरने की कोशिश की। बाद में 2013 में उन्होंने रूस छोड़ दिया और क्रोएशियाई नागरिकता ले ली।

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अपनी वापसी पर कास्परोव ने ट्वीट करते हुए कहा, 'मैं एक बार फिर तैयार हूं। देखता हूं मुझे शतरंज खेलना याद है या नहीं।'

बता दें कि कास्परोव 22 साल की उम्र में 1985 में सोवियत ग्रैंडमास्टर एनाटोली कार्पोव को हराकर सबसे युवा वर्ल्ड चेस चैम्पियन बने थे। इसी जीत ने कास्परोव को शतरंज की दुनिया का स्टार बना दिया था। 

अजरबैजान में अमेरिकी मां और यहूदी पिता के घर जन्में कास्परोव ने 1996 में आईबीएम के सुपर कंप्यूटर 'डीप ब्लू' के खिलाफ भी चेस खेला था और जीत हासिल की। हालांकि, एक साल बाद दूसरे मैच में उन्हें सुपर कंप्यूटर से हार का सामना करना पड़ा।

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