Asian Games 2018: एशियाई खेलों में भी अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करूंगा: अनीश भानवाल
अपने पहले राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारतीय युवा निशानेबाज अनीश भानवाल ने कहा है कि हर प्रतियोगिता की तरह एशियाई खेलों में भी उनकी कोशिश अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की है।
नई दिल्ली:
अपने पहले राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारतीय युवा निशानेबाज अनीश भानवाल ने कहा है कि हर प्रतियोगिता की तरह एशियाई खेलों में भी उनकी कोशिश अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की है।
अनीश ने अप्रैल में आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में हुए राष्ट्रमंडल खेलों के 21वें संस्करण में पुरुषों की 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल स्पर्धा के फाइनल में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने इसी स्पर्धा में राष्ट्रमंडल खेलों का नया रिकॉर्ड भी कायम किया था।
युवा निशानेबाज अनीश के सामने अब राष्ट्रमंडल खेलों के प्रदर्शन को इंडोनेशिया के जकार्ता में 18 अगस्त से दो सितंबर तक होने वाले 18वें एशिया खेलों में भी दोहराने की चुनौती है और वह इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
अनीश ने यहां एशियाई खेलों के लिए 572 सदस्यीय भारतीय दल के आधिकारिक विदाई समारोह से इतर आईएएनएस से बातचीत में कहा कि उनकी कोशिश हर प्रतियोगिता में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की रहती है।
उन्होंने कहा, 'मेरी कोशिश हर प्रतियोगिता में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने की होती है और एशियाई खेलों के लिए भी मेरी अच्छी तैयारी है। जब मैं अच्छा प्रदर्शन करूंगा तो निश्चित रूप से मैं पदक जीतूंगा।'
युवा निशानेबाज ने राष्ट्रमंडल खेलों के फाइनल में कुल 30 अंक हासिल किए थे। उन्होंने 2014 में ग्लासगो में आयोजित 20वें राष्ट्रमंडल खेलों में आस्ट्रेलिया के डेविड चापमान का रिकॉर्ड तोड़ा। उन्होंने 23 अंक हासिल किए थे।
15 साल के अनीश ने कहा, 'राष्ट्रमंडल खेलों से पहले भी मेरी ट्रेनिंग अच्छी थी और अब भी है। गोल्ड कोस्ट में मेरा ध्यान पदक पर ना होकर अपने प्रदर्शन पर था क्योंकि वो मेरा पहला राष्ट्रमंडल खेल था। ठीक उसी तरह, यह मेरा पहला एशियाई खेल है और इसमें पदक से ज्यादा मेरा ध्यान अपना सर्वश्रेष्ठ देने पर है।'
यह पूछे जाने पर कि राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण जीतने के बाद अब उन पर एशियाई खेलों में भी स्वर्ण जीतने का दबाव है और वह इससे खुद को कैसे बाहर निकालते हैं, उन्होंने कहा, 'एशियाई खेलों के लिए मैं मानसिक रूप से तैयार हूं। खेल कोई भी हो, दबाव तो होता ही है, चाहे वह दबाव अच्छा प्रदर्शन करने का हो या पदक जीतने का। मैं इन दबावों से दूर रहने के लिए मैं योग करता हूं।'
एशियाई खेल राष्ट्रमंडल खेलों से बड़ा है और राष्ट्रमंडल खेलों के मुकाबले में एशियाई खेलों में उन्हें अधिक चुनौती का सामना करना पड़ेगा, इस पर अनीश ने कहा, 'हां, मुझे लगता है कि राष्ट्रमंडल खेलों के मुकाबले एशियाई खेलों में अधिक चुनौती है और यह बात मुझे पहले से पता है, इसलिए मैंने एशियाई खेलों के स्तर के हिसाब से अपनी तैयारी की है। मुझे अपनी तैयारी और मेहनत पर पूरा भरोसा है और मुझे उम्मीद है कि मैं वहां जरूर पदक जीतूंगा।'
उन्होंने कि अगर वह अच्छा प्रदर्शन करेंगे तो निश्चित रूप से पदक जीतेंगे और इसके लिए वह दिन में 5-6 घंटे प्रतिदिन ट्रेनिंग कर रहे हैं।
हरियाणा में सोनीपत जिले के गोहाना कसांडी गांव के अनीश ने राष्ट्रमंडल खेलों से पहले 2013 में अंडर-12 माडर्न पैंटाथलन विश्व चैम्पियनशिप और 2015 में एशियाई पैंटाथलन चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया था।
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यह पूछने पर कि राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने के बाद उन्होंने सबसे पहले क्या किया था, निशानेबाज ने कहा, 'स्वर्ण जीतने के बाद मैं बहुत खुश था। मैंने सबसे पहले अपने घर वालों से बात की और अपने परिवार वालों के साथ इस खुशी को साझा किया। मुझे रिकॉर्ड तोड़ने की जानकारी नहीं थी, लेकिन जब किसी ने बताया तो मैं और भी ज्यादा खुश हुआ।'
अनीश ने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद स्वदेश लौटकर 10वीं की परीक्षा दी थी और परीक्षा समाप्त होने के बाद से ही वह नियमित रूप से ट्रेनिंग कर रहे हैं।
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