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क्या है शेयर बायबैक, समझें आसानी से

आसान भाषा में जानें कि आख़िर क्या है शेयर बायबैक।

Updated on: 16 Feb 2017, 06:17 PM

नई दिल्ली:

टीसीएस का बोर्ड 20 फरवरी को बैठक कर कंपनी के शेयर बायबैक पर विचार करने की योजना बना रहा है। इसके संकेत टाटा संस के चेयरमेन एन चंद्रशेखरन ने दिए हैं। एन चंद्रशेखरन ने बताया है कि कंपनी शेयरहोल्डरों के कैश वापस करने पर विचार कर रही है और बोर्ड बैठक के बाद इस पर फैसला लिया जाएगा।

कंपनी 20 फरवरी को टीसीएस की बोर्ड बैठक में बायबैक पर चर्चा करेगी। टीसीएस के पास 65,000 करोड़ रुपये का कुल कैश रिजर्व है। बोर्ड की मंजूरी से 6500 करोड़ रुपये तक का बायबैक आ सकता है। वहीं शेयरधारकों की मंजूरी से 16250 करोड़ रुपये तक का बायबैक आ सकता है।

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इसके अलावा बाज़ार में एनएचपीसी के भी शेयर बायबैक की चर्चा है। ख़बरों के मुताबिक एनएचपीसी 32.25 प्रति शेयर भाव पर 2616 करोड़ रुपये के शेयर बायबैक पर विचार कर रही है। इसके अलावा जागरण प्रकाशन का 195 प्रति शेयर भाव पर 302 करोड़ रुपये के बायबैक की भी खबर है।

ऐसे में आइए समझते हैं कि आख़िर क्या है शेयर बायबैक-

जब कोई कंपनी अपने बाज़ार में जारी शेयरों को दोबारा खरीदने की कोशिश करती है तो इसे शेयर बायबैक कहा जाता है। ऐसा करके कंपनी बाज़ार में मौजूद अपने शेयरों की संख्या घटाती है। इस कदम से प्रति शेयर आय यानिक अर्निंग पर शेयर (ईपीएस) में बढ़ोतरी होती है। इसके अलावा कंपनी की संपत्ति पर मिलने वाला रिटर्न भी बढ़ता है।

शेयर बायबैक किसी भी कंपनी की मजबूती का परिचय देता है क्योंकि कंपनी अपने शेयर तभी बाज़ार से वापस लेती है जब उसके पास पर्याप्त मात्रा में कैपिटल होता है। बायबैक से कंपनी की बैलेंस शीट भी बेहतर होती है।

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इस कदम से निवेशक को भी फायदा होता है क्योंकि उसके पास जो कंपनी के शेयर होते हैं उनकी कीमत बढ़ती है और इसी के साथ उसकी कंपनी में हिस्सेदारी भी बढ़ती है।

कैसे होता है बायबैक?

बायबैक के लिए कंपनी के पास दो तरीके होते हैं। पहला टेंडर ऑफर के ज़रिए दूसरा ओपन मार्केट द्वारा। टेंडर ऑफर में कंपनी शेयरों की संख्या बता कर ऑफर जारी करती हैं जितने शेयर कंपनी बायबैक करना चाहती है और इन शेयरों को खरीदने के लिए प्राइस-रेंज का संकेत देती है।

इस ऑफर को लेने वाले निवेशकों को आवेदन फॉर्म भरकर जमा करना होता है। इस आवेदन में निवेशकर कंपनी को बताता है कि वह कितने शेयर टेंडर करना चाहता है और इसके लिए क्या कीमत चाहता है।

अक्सर टेंडर ऑफर बायबैक की कीमत ओपन मार्केट में शेयरों के दाम से ज़्यादा होती है। यहां कंपनी अगर निवेशक द्वारा शेयर को स्वीकार कर रही है तो उसे ऑफर क्लोज़ होने के 15 दिन के अंदर जानकारी देनी होगी। दूसरे ऑप्शन ओपन मार्केट के ज़रिए कंपनी धीरे-धीरे शेयर बाज़ार से ही शेयर वापस खरीदना शुरु कर सकती है।

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क्यों कंपनियां करती हैं शेयर बायबैक?

कंपनियां कुछ ख़ास परिस्थितियों में ही शेयर बायबैक करती हैं। पहला तब जब कंपनी यह महसूस करें कि उसकी कंपनी के शेयरों की कीमत बाज़ार में कुछ ज़्यादा ही टूट रही है।

दूसरा ऐसा कंपनी तब करती है जब वो प्रमोटर्स की हिस्सेदारी बढ़ाना चाहती हो, ऐसा करके कंपनी टेकओवर की संभावनाओं को ख़त्म कर कंपनी पर अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश करती है।

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