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तस्वीरों में देखें, कैसे मध्य प्रदेश में 'सर्व शिक्षा अभियान' हुई हवा हवाई

मध्यप्रदेश के छतरपुर में सर्व शिक्षा अभियान के तहत चल रहे एक स्कूल की तस्वीर सामने आई है। खुले में चल रहे इस स्कूल में शौचालय, पानी की व्यवस्था और बिजली तक नहीं है और यह स्थिति पिछले 3 सालों से है।

Updated on: 14 Sep 2017, 05:11 PM

highlights

  • इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे तेज धूप में बैठ कर पढ़ाई करते हैं
  • पानी पीने के लिए भी जान जोखिम में डाल कर सड़क पार करते हैं बच्चे

नई दिल्ली:

एक तरफ जहां मध्य प्रदेश सरकार के शिक्षा मंत्री देशभक्ति जगाने के लिए क्लास में हाजिरी के समय बच्चों को 'यस सर' या 'यस मैडम' के बदले जय हिन्द बोलने का फरमान दे रहे हैं। वहीं दूसरी ओर राज्य के कई बच्चों को पढ़ाई के लिए स्कूल तक मयस्सर नहीं हो रहा और सड़क पर पढ़ने को मजबूर हैं।

जी हां, मध्य प्रदेश के छतरपुर में सर्व शिक्षा अभियान के तहत चल रहे एक ऐसे स्कूल की तस्वीर सामने आई है, जिसमें खुली सड़क पर ही बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इस स्कूल में शौचालय, पानी की व्यवस्था और बिजली जैसी कोई बुनियादी सुविधा नहीं दी गई है और यह स्थिति पिछले 3 सालों से है।

सोचिए तपती धूप में ये बच्चे कैसे पढ़ाई करते होंंगे? सरकारी व्यवस्था पर भले ही इस घटना से कोई फर्क न पड़े लेकिन क्या इन बच्चों के शरीर पर भी असर नहीं पड़ता होग। बच्चों ने कहा कि इन्हें पानी पीने के लिए भी जान जोखिम में डाल कर सड़क पार करना पड़ता है।

वहीं छतरपुर स्कूल का मामला सामने आने के बाद मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्री ने कहा, 'कई स्कूल हैं, जो भाड़े के जगहों पर चल रहे हैं। सीमित संसाधनों में जो हम कर सकते हैं, वो कर रहे हैं। इस मामले की जांच करेंगे।'

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केन्द्र सरकार ने 'सर्व शिक्षा अभियान' की शुरुआत साल 2001 में ही की थी, जिसके तहत सभी बच्चों को स्कूल के अंदर लाने और उन्हें बुनियादी शिक्षा उपलब्ध कराना था। लेकिन शिक्षा के बंटे स्तर को पाटने में सरकारें नाकाम हैं।

वहीं सरकार ने 86वें संविधान संशोधन के तहत देश के 6-14 साल तक के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा दिलाने को मौलिक अधिकार में शामिल किया था। कई राज्यों में इसकी भी हवा निकली हुई है।

वैसे आपको बता दें कि मध्य प्रदेश की यह भयावह तस्वीर सरकार की शिक्षा नीति की विफलता को हमारे सामने रखती है। राज्य के स्कूल में इतनी शर्मनाक स्थिति होने के बाद भी नेता और मंत्री भाषणों के सप्लाई के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे हैं।

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