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मध्य प्रदेश: शाजापुर में सांप्रदायिक तनाव, क्षेत्र में धारा 144 लागू

मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में शव को दफनाने को लेकर दो संप्रदायों के लोगों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि उसने सांप्रदायिक तनाव का रूप ले लिया। दोनों तरफ से पथराव हुआ। कोतवाली थाना क्षेत्र में निषेधाज्ञा 144 लागू कर दी गई है।

Updated on: 17 Sep 2017, 12:30 AM

नई दिल्ली:

मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में शव को दफनाने को लेकर दो संप्रदायों के लोगों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि उसने सांप्रदायिक तनाव का रूप ले लिया। दोनों तरफ से पथराव हुआ।

पुलिस को हालात पर काबू पाने के लिए आंसूगैस के गोले छोड़ने पड़े। उसके बाद कोतवाली थाना क्षेत्र में निषेधाज्ञा 144 लागू कर दी गई है। पुलिस के अनुसार, शनिवार की दोपहर कोतवाली थाना क्षेत्र में स्थित कब्रिस्तान में एक शव को दफनाने को लेकर दो संप्रदायों से जुड़े लोगों में विवाद हो गया। इस विवाद के बढ़ने पर मारपीट हुई और दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर पथराव कर दिया।

पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र सिंह चौहान ने आईएएनएस को बताया कि दो संप्रदायों में हुए विवाद को बढ़ता देख पुलिस ने हालात पर काबू पाने के लिए आंसूगैस का इस्तेमाल किया और हल्का बल प्रयोग कर स्थिति को नियंत्रित किया। उसके बाद क्षेत्र में निषेधाज्ञा धारा 144 लगा दी गई है। अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

कलेक्टर अलका श्रीवास्तव ने बताया कि अभी हालात नियंत्रण में है और मामले के दोषियों को माफ़ नहीं किया जायेगा। 

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क्या है धारा-144

सीआरपीसी के तहत आने वाली धारा-144 शांति व्यवस्था कायम करने के लिए लगाई जाती है। इस धारा को लागू करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट यानी जिलाधिकारी एक नोटिफिकेशन जारी करता है।

जिस जगह भी यह धारा लगाई जाती है, वहां चार या उससे ज्यादा लोग इकट्ठे नहीं हो सकते हैं। इस धारा को लागू किए जाने के बाद उस स्थान पर हथियारों के लाने ले जाने पर भी रोक लगा दी जाती है।

यह पुलिस द्वारा घोषित किये जाने वाला एक आदेश होता है जिसे विशेष परिस्थितियों जैसे दंगा, लूटपाट, आगजनी, हिंसा, मारपीट को रोक फिर से शांति की स्थापना के लिए किया जाता है। धारा 144 लागू होने के बाद उस इलाके में नागरिकों की सुरक्षा के लिहाज से लोगों को घरों से बाहर गुट बनाकर घूमने पर प्रतिबंध होता है।

धारा 144 के उल्लंघन करने पर तीन साल तक सजा साथ ही भारी जुर्माना या दोनों भी हो सकता है। इस दौरान सारे कानूनी अधिकार इलाके के मजिस्ट्रेट को दे दिये जाते हैं जिसपर शांति व्यवस्था को फिर से स्थापित करने की जिम्मेदारी होती है। 

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