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भारत की एक चौथाई आबादी थायरॉइड से जुड़ी बीमारियों की शिकार

भारत में थायरॉइड से संबंधित बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। एक रिपोर्ट में बताया है कि 32 फीसदी भारतीय आबादी थायरॉइड से जुड़ी अलग अलग तरह की बीमारियों की शिकार है।

Updated on: 25 May 2017, 11:07 AM

नई दिल्ली:

भारत में थायरॉइड से संबंधित बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। डायग्नोस्टिक चेन एसआरएल ने हाल ही में अपने डेटा विश्लेषण के आधार पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया है कि 32 फीसदी भारतीय आबादी थायरॉइड से जुड़ी अलग अलग तरह की बीमारियों की शिकार है। 

एसआरएल का यह विश्लेषण साल 2014-16 की अवधि के दौरान देश भर में 33 लाख से ज्यादा वयस्कों से जुटाए गए आंकड़ों पर आधारित है 

रिपोर्ट के अनुसार, देश के पूर्वी जोन में हाइपोथायरॉइडिज्म का मंद रूप सबक्लिनिकल हाइपोथॉयराइडिज्म अधिक है। वहीं, उत्तरी भारत में हाइपोथायरॉइडिज्म के अधिकतम मामले दर्ज किए गए, जबकि दक्षिणी और पश्चिमी जोन में हाइपरथायरॉइडिज्म एवं इसके विभिन्न प्रकार अधिक संख्या में पाए गए।

थायरॉइड की बीमारी आमतौर पर महिलाओं में पाई जाती है और कई तरह की समस्याएं पैदा करती हैं, जैसे वजन बढ़ना, हॉर्मोनों का असंतुलन आदि। पुरुष भी इसका शिकार हो सकते हैं, हालांकि महिलाओं की तुलना में उनके इस रोग से पीड़ित होने की संभावना कम होती है।

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अल्पसक्रिय थायरॉइड के लक्षण पुरुषों और महिलाओं में एक ही तरह के होते हैं। जैसे कमजोरी, वजन बढ़ना, अवसाद और कॉलेस्ट्रोल का ऊंचा स्तर।

इसके अलावा, पुरुषों में आमतौर पर कुछ अन्य लक्षण भी होते हैं जैसे बाल झड़ना, पेशियों की क्षमता में कमी, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और यौनेच्छा में कमी।

रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार पुरुषों में थायरॉइड विकार की संभावना महिलाओं की तुलना में 8 गुना कम होती है, लेकिन इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं कि वे इस खतरे से पूरी तरह सुरक्षित हैं।

हालांकि जल्दी  उपचार इसमें कारगर साबित हो सकता है। इसके अलावा थायरॉइड हॉर्मोन रिप्लेसमेन्ट एक सुरक्षित एवं प्रभावी उपचार है, जिसके द्वारा लक्षणों का प्रबंधन करके रोग की जटिलताओं से बचा जा सकता है।

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