logo-image

IPL 2018: एक और यादगार कहानी जिसे भुलाया नहीं जा सकता

लीग में कई ऐसी कहानियां लिखी गई हैं, जिन्हें भूलना आसान नहीं या यूं कहें भुलाया नहीं जा सकता। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ।

Updated on: 28 May 2018, 05:06 PM

Anjali sahal:

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) वो नाम जिसने क्रिकेट को एक नया मुकाम दिया और खेल को एक शीर्ष स्तर प्रदान किया। हां, बीच में इसे चोट भी लगी, लगा की रास्ता भटक रही है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और 11वें सीजन की सफलता ने इसे साबित किया कि यह लीग आज भी दुनिया भर में क्रिकेट की सबसे मजबूत और सर्वश्रेष्ठ लीग है।

लीग में कई ऐसी कहानियां लिखी गई हैं, जिन्हें भूलना आसान नहीं या यूं कहें भुलाया नहीं जा सकता। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ।

दो पूर्व विजेताओं चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स ने दो साल के प्रतिबंध के बाद वापसी की और दोनों ने शानदार प्रदर्शन किया। राजस्थान ने प्लेऑफ तक का सफर तय किया तो वहीं चेन्नई के हिस्से तीसरा खिताब आया। इस दौरान स्टेडियम खचाखच भरे रहे। टीआरपी की रेस भी जीती गई ।

एक कहावत है, मायने यह नहीं रखता की आपको चोट कैसे और कितनी लगी, मायने रखता है कि आप गंभीर चोट खाने के बाद किस तरह से आगे बढ़ते हो।

कहावत शायद चेन्नई पर सटीक बैठती है। एक टीम जिसे आईपीएल इतिहास की सबसे सफल टीम होने का दर्जा हासिल है। वो टीम जो दो साल दूर थी, लेकिन जब भी लीग में खेली प्लेऑफ तो खेली ही। चेन्नई जो महज एक टीम नहीं बल्कि उससे कई बढ़कर बन चुकी है।

नीलामी में जब टीम को चुना गया था कहा गया कि यह बूढ़ी टीम है जिसके खिलाड़ियों की औसतन आयु 31 है। बेशक हो सकता है ऐसा, लेकिन इस टीम के प्रशंसक बाकी टीमों से कई ज्यादा हैं, यह बात भी साबित हो चुकी।

विवाद के कारण इस टीम को मैच अपने घर चेन्नई से बाहर पुणे में खेलने पड़े, लेकिन पीली नदी स्टेडियम में हमेशा वही चाहे वो पुणे हो या दिल्ली, वानखेड़े हो या ईडन गार्डन्स।

इस टीम का कप्तान भी तो वो शख्स है जो दुनियाभर में अपना लोहा मनवा चुका है। महेंद्र सिंह धोनी, जो सिर्फ चेन्नई के कप्तान ही नहीं बल्कि इसका चेहरा हैं। वो तब सोचते हैं जब दूसरे थक जाते हैं।

फाइनल में इस दिग्गज टीम का सामना हुआ भी तो उस टीम से जिसने सीजन की शुरुआत में अपने सफल कप्तान और बल्लेबाज डेविड वार्नर को खो दिया था। लेकिन चैम्पियन टीम और चैम्पियन खिलाड़ी की खासियत ही यही होती है कि वह किसी के सहारे नहीं होते।

हैदराबाद की कमान केन विलियमसन को मिली और टीम फाइनल में पुहंची वो भी एक ऐसी टीम के तमगे के साथ जो छोटे से छोटे से लक्ष्य का बचा सकने की क्षमता रखती है। हालांकि फाइनल में ऐसा नहीं हो पाया और विलियमसन अपनी टीम को दूसरा खिताब नहीं दिला पाए।

धोनी की टीम ने एक साथ आकर वो प्रदर्शन किया जो फाइनल में हैदराबाद पर हावी पड़ा।

सफलता का सहरा बंधा तो कप्तान धोनी के सिर लेकिन इसमें साथ पूरी टीम ने दिया। मुंबई इंडियंस के साथ पिछले साल खिताब जीतने वाले अंबाती रायुडू इस सीजन में आकर चेन्नई के लिए रन करते रहे, लगातार, निरंतर। पिछले सीजन रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर से खेलने वाले आस्ट्रेलिया के हरफनमौला खिलाड़ी शेन वाटसन उस सीजन में विफल रहे थे और सभी ने कहा था कि उन्हें क्रिकेट छोड़ देनी चाहिए।

लेकिन शायद यह पीली जर्सी और धोनी की टीम का कमाल था कि वाटसन ने फाइनल में शतक जड़ा जो उनका इस सीजन का दूसरा शतक था। पूरे सीजन वाटसन फॉर्म में थे। इसका श्रेय भी उन्होंने फाइनल से पहले धोनी को दिया था।

आपको वो टीम देखनी है जो एक है और कोई भी खिलाड़ी जहां विफलता से निकल कर सफल हो सकता है तो वह चेन्नई सुपर किंग्स है। वो कप्तान देखना है जो दूसरो को प्रेरित कर, आगे रखते हुए उन्हें खिलाड़ी बनाता है तो वो धोनी हैं।

इन सब के बीच आप हैदराबाद के स्टार अफगानिस्तान के राशिद खान को नहीं भूल सकते। राशिद ने दो आईपीएल खेले हैं और अपने आप को एक विश्व स्तर के गेंदबाज के तौर पर स्थापित किया है। उनकी प्रतिभा को देखकर क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर भी उनकी तारीफ करने को मजबूर हो गए।

फाइनल में जंग 11वें सीजन की दो सर्वश्रेष्ठ टीमों के बीच की थी, जिसमें धोनी की चेन्नई ने अपनी खिताब अपने नाम कर लिया।