अब चीन सीमा की रखवाली करेंगी अमेरिकी तोपें, तैनात होगी हल्की होवित्जर तोप
लद्दाख के उत्तरी सेक्टर और अरुणाचल प्रदेश में पूर्वी सेक्टर पर सीमा को मजबूती देने के लिए भारत अमेरिका से 145 एम-777 खरीद रहा है.
highlights
- चीन सीमा पर अमेरिका से खरीदी गई एम-777 अल्ट्रा लाइट होवित्जर तोपें तैनात की जाएंगी.
- 2019 के अंत तक चीन सीमा पर तैनात होने वाली तोपों से सेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी.
- भारत का यह कदम चीन के साथ सामरिक संतुलन साधने में कारगर रहेगा.
नई दिल्ली:
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे से पहले ही केंद्र सरकार अरुणाचल प्रदेश को लेकर एक बड़ा कदम उठाने जा रही है. इस कदम से मोदी 2.0 सरकार चीनी राष्ट्राध्यक्ष को एक साफ संदेश देना चाहती है और वह यह है कि अरुणाचल भारत का अभिन्न हिस्सा है. इस कदम के तहत केंद्र अरुणाचल प्रदेश में चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपने तोपखाने की ताकत बढ़ा रहा है. इसके लिए अमेरिका से खरीदी गई एम-777 अल्ट्रा लाइट होवित्जर तोपें तैनात की जाएंगी. लद्दाख के उत्तरी सेक्टर और अरुणाचल प्रदेश में पूर्वी सेक्टर पर सीमा को मजबूती देने के लिए भारत अमेरिका से 145 एम-777 खरीद रहा है.
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आर्टिलरी रेजिमेंट्स ले रही है प्रशिक्षण
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन एम-777 तोपों की तैनाती से पहले पूर्वी अरुणाचल प्रदेश में तैनात आर्टिलरी रेजिमेंट्स को इन्हें चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. भारतीय सेना के एक अधिकारी के मुताबिक 2019 के अंत तक चीन सीमा पर तैनात होने वाली तोपों से सेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. खासकर अरुणाचल प्रदेश में संवेदनशील तवांग, कामेंग और वालोंग जैसे क्षेत्रों में ये तोपें तैनात की जा सकती हैं.
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अमेरिका से भारत ले रहा 145 ओएम-777 तोप
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने नवंबर 2016 में 145 एम-777 खरीदने के लिए अमेरिका के साथ 5,070 करोड़ रुपये का समझौता किया था. इस सौदे के तहत 25 तोपें पूरी तरह से तैयार स्थिति में दी जाएंगी, जबकि बाकी 120 की असेंबलिंग भारत में महिंद्रा के साथ साझेदारी में होगी. अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान और इराक की जंग में एम-777 का इस्तेमाल किया था. इनकी मदद से भारत को अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में अपनी सीमा को सुरक्षित करने में मदद मिलेगी. ये तोपें हेलीकॉप्टर के जरिए वास्तविक नियंत्रण रेखा के निकट इलाकों तक ले जाई जा सकती हैं.
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स्वाति ने बढ़ाई भारत की बचाव क्षमता
पिछले कुछ वर्षों से सेना को अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर बोफोर्स तोपों को ढोने में मुश्किल हो रही है क्योंकि इस क्षेत्र में सड़कें चौड़ी नहीं हैं. इस मुश्किल से निपटने के लिए तोप को इसके मूलभूत आधार (व्हीकल) से अलग कर ले जाया जाता है. बोफोर्स तोप का इसके आधार के साथ भार 30-40 टन होता है. इनके स्थान पर अधिक मारक क्षमता वाली तोपों को लाया जा रहा है. सेना ने हथियारों का पता लगाने वाले रडार 'स्वाति' को देश में ही विकसित कर लिया है. इससे चीनी क्षेत्र की ओर से तोपों से होने वाली गोलाबारी का समय रहते पता लगाने में मदद मिलेगी. जाहिर है भारत का यह कदम चीन के साथ सामरिक संतुलन साधने में तो कारगर रहेगा ही, साथ ही चीन सीमा पर तैनात सेना के मनोबल को भी बढ़ाने वाला होगा.
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