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दलित आंदोलन के स्मारकों को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा देगी मोदी सरकार

इसके तहत बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर से जुड़े दो महत्वपूर्ण स्थलों को चिन्हित किया गया है.

Updated on: 08 Jul 2022, 08:21 PM

highlights

  • दलित आंदोलनों को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित करने की कवायद
  • राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण ने संस्कृति मंत्रालय की सौंपी सूची

नई दिल्ली:

मोदी सरकार (Modi Government) आदिवासियों और दलितों के लिए कई बड़ी योजनाओं पर काम कर रही है. अब सरकार ने देश में दलित (Dalit) आंदोलन से जुड़े स्मारकों को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित करने की दिशा में काम शुरू किया है. इसके तहत मोदी सरकार के केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर से जुड़े सतारा स्थित एक विद्यालय और वड़ोदरा स्थित ‘संकल्प भूमि’ समेत दलित आंदोलन से जुड़े स्मारकों को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा देने की कवायद शुरू कर दी है. देश में पहली बार दलित आंदोलन से जुड़े स्मारकों को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाएगा.

देश में पहली बार हो रहा यह काम
संस्कृति मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण (एमएमए) के अध्यक्ष तरूण विजय के मुताबिक, ‘पहली बार देश में दलित आंदोलन से जुड़े स्मारकों को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित करने की दिशा में काम शुरू किया गया है. इसके तहत बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर से जुड़े दो महत्वपूर्ण स्थलों को चिन्हित किया गया है. इस सिलसिले में प्राधिकरण ने इन दोनों स्थलों को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित करने पर औपचारिक रिपोर्ट पिछले सप्ताह संस्कृति मंत्रालय को भेज दी है. उम्मीद है कि इन्हें जल्द मंजूरी मिल जाएगी.’

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संकल्प भूमि पर ही शपथ ली थी बाबा साहब ने
गौरतलब है कि गुजरात में वड़ोदरा स्थित ‘संकल्प भूमि’ पर ही बाबा साहेब ने वर्ष 1913 में राष्ट्रीय समानता एवं सामाजिक समरसता की शपथ ली थी. महाराष्ट्र के सतारा स्थित एक विद्यालय में बाबा साहब आंबेडकर ने प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की थी. इस विद्यालय का नाम प्रताप सिंह हाई स्कूल है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक ऐसे 200 स्मारकों की सूची तैयार की गई है जो राष्ट्रीय महत्व के स्मारक बनने की पात्रता रखते हैं. इस सूची पर कार्रवाई के लिये संस्कृति मंत्रालय को भेजा जा चुका है. इसमें महाराष्ट्र के मारोली के पास महारानी ताराबाई भोंसले की समाधि भी शामिल है जो अभी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है. इनके पुनरुद्धार का कार्य भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सहयोग से किया जाएगा.

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200 स्मारक स्थलों की एक और सूची भी तैयार
इनके अलावा देश में ऐसे 200 स्मारक/स्थल हैं जिनका इतिहास अज्ञात है. इन्हें स्थानीय सूची में डालने की सिफारिश की गई है. इस सूची में तोता-मैना का स्मारक, अफजल खान की बीवियों से जुड़ा स्थल आदि शामिल हैं. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के संभल में तोता मैना का कब्र स्थल है. ऐसी मान्यता है कि तोता-मैना दो प्रेमी थे, जो संभल के जंगलों में अक्सर देखे जाते थे और राजा पृथ्वीराज चौहान ने खुद तोता-मैना के मरने के बाद इनकी कब्र बनवाई. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं की गई है. इसी तर्ज पर प्राधिकरण ने राजस्थान स्थित मानगढ़ पहाड़ी को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित करने की सिफारिश मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में की है.