राफेल डील पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, बीजेपी ने कहा- उन्हें आगस्ता वेस्टलैंड का सता रहा डर
कांग्रेस ने राफेल डील पर सवाल उठाते हुए बीजेपी पर देश के हितों के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है। वहीं बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों को निराधार करार दिया है।
नई दिल्ली:
कांग्रेस ने राफेल डील पर सवाल उठाते हुए बीजेपी पर देश के हितों के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है। पार्टी ने कहा है कि इस डील में क्रोनी कैपिटलिज्म को बढ़ावा दिया गया है और जनता का पैसा बर्बाद किया गया है।
इधर बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों को निराधार करार देते हुए कहा है कि आगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील मामले में इनके बड़े नेता फंसे हुए हैं और उनसे सवाल किया जाने वाला है। ऐसे में वो मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस के मीडिया इंचार्ज रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार ने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के हितों की अनदेखी की है। जबकि एचएएल को इसकी तकनीक ट्रांसफर किया जाना चाहिये था लेकिन वो तकनीक रिलायंस डिफेंस को दी जा रही है।
उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि इन फाइटर जेट्स को ज्यादा दामों में खरीदा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान टेंडर प्रॉसेस खत्म होने के वक्त तय की गई कीमत से अधिक है।
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सुरजेवाला के बयान पर बीजेपी के प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने दावा किया कि कांग्रेस राफेल का मुद्दा उठा कर 'स्टंट' कर रही है। क्योंकि इसकी शीर्ष नेता, गांधी परिवार भी आगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले मुद्दे पर सवालों के घेरे में हैं।
उन्होंने कहा, 'कांग्रस ने राफेल डील पर आधारहीन आरोप लगाए हैं ताकि लोगों का ध्यान हटा सकें और बाद में कह सकें कि राजनीतिक षड्यंत्र का आरोप लगा सकें।'
उन्होंने कहा, 'इस तरह का कोई स्टंट काम नहीं करेगा और कांग्रेस को सवालों का जवाब देना होगा कि किन लोगों ने आगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले में घूस लिया है। क्योंकि कार्लोस गेरोसा के प्रत्यर्पण के बाद पैसे के लेन देन की कड़ी खुलने वाली है।'
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि यूपीए सरकार ने अगस्त 2007 में 126 मीडियम मल्टी रोल एयरक्राफ्ट के लिये टेंडर निकाला था।
उन्होंने कहा कि पूरी डील में पारदर्शिता बरती गई थी और उसके बाद दाम तय किये गए थे। साथ ही तय किया गया था कि 126 एयरक्राफ्ट, 18 फ्रांस से आनी थीं और बाकी 108 एयरक्राफ्ट एचएएल के साथ सहयोग से बनाई जाएंगी।
उन्होंने कहा कि लेकिन इस सरकार के आने के बाद डील कैंसल कर दी गई और फिर से बातचीत हुई। जिसमें भारत में फाइटर्स के उत्पादन को लेकर डसॉल्ट के साथ रिलायंस का समझौता हो गया।
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उन्होंने कहा, 'इसमें कोई पारदर्शिता नहीं बरती गई है। पूरी तरह से डिफेंस प्रोक्योरमेंट प्रॉसिजर का उल्लंघन किया गया है। प्रधानमंत्री के उद्योगपति मित्र के आर्थिक हितों का ध्यान रखा गया है और एचएएल और सरकारी उपक्रम को तकनीकी न देकर देश के हितों की अनदेखी की गई है।'
उन्होंने दावा किया कि य़ूपीए के दौरान हुई डील के तहत एक फाइटर जेट 526.10 करोड़ की कीमत आती लेकिन अब इसकी कीमत 1570.80 करोड़ होगी। इससे देश की जनता का पैसा बर्बाद होगा।
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