चीन के आतंकी मसूद अजहर को बचाने पर ओवैसी का हमला, यह मोदी सरकार की 'झूला कूटनीति' की विफलता
भारत की जैश सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की कोशिशों में चीन ने चौथी बार अड़ंगा डाला है.
नई दिल्ली:
भारत की जैश सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की कोशिशों में चीन ने चौथी बार अड़ंगा डाला है. चीन ने संयुक्त मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने वाले प्रस्ताव पर वीटो लगा दिया. चीन के जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) प्रमुख मसूद अहजर का नाम वैश्विक आतंकवादी सूची में नहीं डालने दिन बाद विपक्ष ने पीएम मोदी पर हमला बोला. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जैश सरगना मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी की सूची में न डाल पाना यह नरेंद्र मोदी की 'झूला कूटनीति' की विफलता है. यह 'झूला कूटनीति’ इतनी शानदार है कि चीन इस आतंकवादी को ब्लैकलिस्ट करने में सहयोग करने से इनकार करता है.'
ओवैसी ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि चीन ने आतंकी मसूद अज़हर को बलकलिस्ट करने में सहयोग नहीं किया. मोदी सरकार ने बुलेट प्रूफ वेस्ट खरीदने के लिए चीन को 630 करोड़ का ऑर्डर दिया है. उन्होंने आगे कहा, 'भारत ने चीन को यह ऑर्डर क्यों दिया, क्या हम किसी और देश को नहीं दे सकते थे? चीन ही क्यों? मोदी को देश को जवाब देना चाहिए. यह नरेंद्र मोदी की 'झूला कूटनीति' की विफलता है.'
Asaduddin Owaisi, AIMIM on China blocks India's bid to designate JeM Chief Masood Azhar as global terrorist in UNSC: This is failure of Narendra Modi's 'jhoola diplomacy' & this 'jhoola diplomacy' is so fantastic that China refuses to cooperate in blacklisting this terrorist. pic.twitter.com/r62ybz6ErY
— ANI (@ANI) March 14, 2019
पिछले दस साल सालों से चौथी बार चीन ने भारत की कोशिशों में अड़ंगा डाला है. पुलवामा में हुए सीआरपीएफ पर हुए आतंकी हमले के बाद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति के तहत प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका की ओर से 27 फरवरी को रखा गया था. प्रस्ताव से पहले अमेरिका ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अजहर को लेकर चीन का रुख क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के लिए खतरा है.
और पढ़ें: ट्विटर से विदेश नीति नहीं चलती, राहुल गांधी करीबी हैं चीन को क्यों नहीं समझाते : रविशंकर प्रसाद
चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो की शक्ति रखनेवाला सदस्य है और ऐसे में सबकी निगाहें चीन पर टिकी थीं. 2009 में मुंबई हमले के बाद पहली बार मसूद पर प्रतिबंध का प्रस्ताव पेश किया गया था. 2016 में भारत ने सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति के समक्ष प्रस्ताव रखा जिसपर चीन ने रोक लगाई थी. 2017 में अमेरिका ने ब्रिटेन और फ्रांस के समर्थन से प्रस्ताव पारित किया, चीन ने वीटो किया. 2019 में फ्रांस के प्रस्ताव का ब्रिटेन अमेरिका ने समर्थन किया जिसमें चीन ने रोक लगाई थी.
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