CrPC में पहले 484 धाराएं थीं, अब इसमें 531 धाराएं होंगीः अमित शाह
अमित शाह ने कहा कि राजद्रोह जैसे अंग्रेजों के काले कानूनों का नए भारत में हुआ है. आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही है मोदी सरकार, पहली बार भारतीय न्याय संहिता में आतंकवाद की व्याख्या दी गयी है
दिल्ली :
लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि CrPC में पहले 484 धाराएं थीं, अब इसमें 531 धाराएं होंगी. 177 धाराओं में बदलाव किए गए हैं और 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं. 39 नई उप-धाराएं जोड़ी गई हैं. 44 नए प्रावधान जोड़े गए हैं. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (CRPC) में पहले 484 धाराएं थीं, अब 531 होंगी, 177 धाराओं में बदलाव हुआ है. 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं, 39 नए सब सेक्शन जोड़े गए हैं, 44 नए प्रोविजन और स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं, 35 सेक्शन में टाइम लाइन जोड़ी हैं और 14 धाराओं को हटा दिया गया है.
मॉब लिंचिंग घृणित अपराध है
अमित शाह ने कहा कि राजद्रोह जैसे अंग्रेजों के काले कानूनों का नए भारत में हुआ है. आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही है मोदी सरकार, पहली बार भारतीय न्याय संहिता में आतंकवाद की व्याख्या दी गयी है . मॉब लिंचिंग पर सख्त कानून लेकर मोदी सरकार आयी है. मॉब लिंचिंग की घटनाओं में आजीवन कारावास से लेकर मृत्युदंड की सजा का प्रावधान किया गया है. मॉब लिंचिंग घृणित अपराध है और हम इस कानून में मॉब लिंचिंग अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान कर रहे हैं. लेकिन मैं विपक्ष से पूछना चाहता हूं कि आपने भी वर्षों देश में शासन किया है, आपने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून क्यों नहीं बनाया?
भारतीय न्याय संहिता 2023 इस सदन की मान्यता के बाद पूरे देश में अमल में आएगी
अमित शाह ने आगे कहा कि आपने मॉब लिंचिंग शब्द का इस्तेमाल सिर्फ हमें गाली देने के लिए किया, लेकिन सत्ता में रहे तो कानून बनाना भूल गए. आतंकवाद की व्याख्या अब तक किसी भी कानून में नहीं थी. पहली बार अब मोदी सरकार आतंकवाद को व्याख्यायित करने जा रही है. जिससे इसकी कमी का कोई फायदा न उठा पाए. Indian Penal Code जो 1860 में बना था, उसका उद्देश्य न्याय देना नहीं बल्कि दंड देना ही था. उसकी जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 इस सदन की मान्यता के बाद पूरे देश में अमल में आएगी.
CrPc की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि CrPc की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 इस सदन के अनुमोदन के बाद अमल में आएगी. और Indian Evidence Act 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 अमल में आएगा. इस ऐतिहासिक सदन में करीब 150 साल पुराने तीन कानून, जिनसे हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली चलती है, उन तीनों कानूनों में पहली बार मोदी जी के नेतृत्व में भारतीयता, भारतीय संविधान और भारत की जनता की चिंता करने वाले बहुत आमूल-चूल परिवर्तन लेकर मैं आया हूं.
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