सुप्रीम कोर्ट में याचिका: क्या महात्मा गांधी पर गोली चलाने वाला गोडसे के अलावा कोई और भी था?
महात्मा गांधी की हत्या को लोकर आए दिन विवाद होता रहता है। लेकिन क्या उनका कोई दूसरा हत्यारा भी था। जो नाथूराम गोडसे के अलावा भी था।
नई दिल्ली:
महात्मा गांधी की हत्या को लोकर आए दिन विवाद होता रहता है। लेकिन क्या उनका कोई दूसरा हत्यारा भी था। जो नाथूराम गोडसे के अलावा भी था।
पुलिस की थ्योरी के अनुसार गांधी पर तीन गोलियां चलाई गई थीं, लेकिन क्या चौथी गोली भी थी जिसे नाथूराम गोडसे के अलावा किसी और ने चलाई?
ऐसे ही कई सवाल है जिन्हें सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई एख याचिका में उठाये गये हैं। इ, याचिका में अनुरोध किया गया है कि एक नया जांच आयोग गठित करके महात्मा गांधी की हत्या के पीछे की बड़ी साजिश का खुलासा किया जाए।
इस याचिका में गांधी की हत्या की जांच पर भी सवाल उठाए गए हैं इसमें कहा कहा गया कि क्या इस हत्या से जुड़ी जानकारियों को ढकने की कोशिश इतिहास की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है और क्या उनकी मौत के लिए विनायक दामोदर सावरकर को भी जिम्मेदार ठहराने का आधार है या नहीं।
अभिनव भारत के ट्रस्टी और मुंबई के शोधाकर्ता डॉक्टर पंकज फडनिस की तरफ से दायर इस याचिका में दावा किया गया है कि साल 1966 में गठित की गई न्यायमूर्ति जेएल कपूर जांच आयोग पूरी साजिश का पता लगाने में नाकाम रहा जिसके कारण राष्ट्रपिता की हत्या के साथ पूरी हुई।
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फडनिस ने तीन बुलेट थ्योरी पर भी सवाल उठाया है। जिसके आधार पर विभिन्न अदालतों ने गोडसे और नारायण आप्टे सहित अन्य आरोपियों को दोषी ठहराया। इन आरोपियों को 15 नवंबर 1949 को फांसी पर लटकाया गया था जबकि सावरकर को सबूतों के अभाव में संदेह का लाभ दिया गया।
सावरकर से प्रेरित होकर 2001 में अभिनव भारत मुंबई का गठन हुआ जो सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए काम करने का दावा करता है।
फडनिस का कहना है कि मीडिया रिपोर्ट्स और उनके रिसर्च के मुताबिक, 30 जनवरी 1948 को गोडसे ने जिस पिस्तौल से गोली मारी थी उसमें गोलियों के सात चैंबर थे। जबकि पुलिस का कहना है कि उसमें से चार गोलियां पिस्तौल में ही थीं।
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उन्होंने कहा, 'चौथी गोली उन्हें तभी लग सकती थी जबतक कि कोई दूसरा वहां रहा हो और गोली चलाई हो। गोडसे की पिस्तौल से चौथी गोली नहीं निकली थी।'
सुप्रीम कोर्ट ही नहीं फडनीस ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर मांग की है कि सावरकर के खिलाफ कपूर कमीशन के आधारहीन बयानों को हटाया जाए।
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