योगी आदित्यनाथ के अपराजेय गढ़ में सपा का चला जादू, 2019 के पहले बीजेपी को बड़ा झटका
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी का अपने सबसे मजबूत सीट पर बड़े अंतरों से हारना पार्टी के लिए तगड़ा झटका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस अपराजित गढ़ को सपा ने ढहाने का काम किया।
नई दिल्ली:
गोरखपुर लोकसभा सीट पर हुए उप-चुनाव के परिणाम आने के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को अपने सबसे बड़े गढ़ में सबसे बड़ा झटका लगा है। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रवीण निषाद ने बीजपी के उपेन्द्र शुक्ला को 21,881 वोटों से हराया है।
ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी का अपने सबसे मजबूत सीट पर बड़े अंतरों से हारना पार्टी के लिए तगड़ा झटका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस अपराजेय गढ़ को सपा ने ढहाने का काम किया।
अखिलेश यादव और मायावती का साथ आना ही सिर्फ बीजेपी की हार का कारण नहीं हो सकता है बल्कि सरकार के कामकाजों और नीतियों का यह एक बड़ा परिणाम है।
इस उप-चुनाव परिणाम को योगी आदित्यनाथ सरकार के एक साल की समीक्षा भी माना जा सकता है। मार्च 2017 में भारी जीत के साथ सरकार बनाने वाली बीजेपी ने बड़े-बड़े काम के दावों को प्रचारित किया था।
2017 में मुख्यमंत्री पद पर बैठने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। लेकिन उप-चुनाव में हार बीजेपी उम्मीदवार उपेन्द्र शुक्ला की चमक योगी की तुलना में फीकी पड़ गई।
वहीं उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के लोकसभा क्षेत्र फूलपुर में भी बीजेपी को जबरदस्त हार मिली। फूलपुर में सपा उम्मीदवार नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल ने बीजेपी के कौशलेंद्र प्रताप सिंह को 59,613 वोटों से पटखनी दी है।
बता दें कि गोरखपुर लोकसभा सीट बीजेपी का 27 साल पुराना गढ़ है। अब तक बीजेपी को इस सीट पर एक बार भी हार नहीं मिली थी।
1989 में नौवें लोकसभा चुनाव में हिंदू महासभा के महंत अवेद्यनाथ ने कांग्रेस को हराकर पहली बार इस सीट पर पहली बार कब्जा जमाया था। उसके बाद 1998 तक इस सीट से सांसद बने रहे थे।
1989 के बाद 1991 और 1996 में महंत अवेद्यनाथ ने जीत दर्ज की थी। इस बीच उत्तर प्रदेश हिंदु राजनीति का एक बड़ा केंद्र बना था।
90 के दशक में शुरू हुई कमंडल की राजनीति ने इस क्षेत्र में हिंदुत्व का सबसे बड़ा परचम लहराया था और लगातार इसी भावना का विकास फलता-फूलता रहा था।
इसी के बाद 1998 में 12वीं लोकसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी ने कट्टर हिंदुवादी चेहरा योगी आदित्यनाथ को इस सीट से चुनाव लड़ने दिया और उसके बाद पार्टी को कभी हार का सामना करना नहीं पड़ा था। पहली बार सांसद बने योगी एक के बाद एक लगातार पांच बार इस सीट से सांसद बन गए।
1998 के बाद 1999, 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों में योगी आदित्यनाथ ने इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत बनाकर रखी थी।
2019 के आम चुनाव से पहले बीजेपी की गोरखपुर और फूलपुर जैस दो अहम लोकसभा क्षेत्र में हार जनता की असंतुष्टि को बयां करता है।
पिछले साल अगस्त महीने में गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में 24 घंटे के अंदर 30 से ज्यादा बच्चों की मौत ने आदित्यनाथ सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया था। इसके बाद भी बच्चों की मौत नहीं थमी थी, जिससे राष्ट्रीय मीडिया में यूपी सरकार की भद्द पिट गई थी।
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