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भारी पड़ा विपक्ष, ट्रिपल तलाक बिल को सेलेक्ट कमेटी भेजने को तैयार मोदी सरकार- सूत्र

मोदी सरकार के प्रमुख एजेंडे में शामिल रहे ट्रिपल तलाक बिल पर विपक्षी दलों के तेवर को देखते हुए अब राज्यसभा में मोदी सरकार के अगले कदमों पर नजर होगी।

Updated on: 04 Jan 2018, 04:59 PM

highlights

  • सरकार ने ट्रिपल तलाक बिल पर सहमति बनाने के लिए विपक्ष से संपर्क साधा
  • संसद में बहस से सहमति नहीं बनने पर बिल को सेलेक्ट कमेटी भेजने पर विचार कर सकती है सरकार
  • कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल सेलेक्ट कमेटी के पास भेजे जाने की मांग पर अड़ा है

नई दिल्ली:

ट्रिपल तलाक बिल पर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने है। मोदी सरकार के प्रमुख एजेंडे में शामिल रहे ट्रिपल तलाक बिल पर विपक्षी दलों के तेवर को देखते हुए अब राज्यसभा में मोदी सरकार के अगले कदमों पर नजर होगी।

सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने इस बिल पर सहमति बनाने के लिए विपक्ष से संपर्क साधा है और लगातार बातचीत कर सामंजस्य बनाने की कोशिश की जा रही है। 

सूत्रों ने बताया, 'विपक्ष की बैठक में सरकार ने कहा कि वह राज्यसभा में इस बिल पर बहस के लिए आवंटित चार घंटे का बहस चाहती है और अगर इस दौरान भी विपक्ष अपने रवैये पर अड़ा रहा तो वह इसे प्रवर समिति (सेलेक्ट कमेटी) को भेजने पर विचार करेगी।'

समूचा विपक्ष मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017 (ट्रिपल तलाक बिल) को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजे जाने की मांग पर अड़ा है।

बुधवार को जैसे ही कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में ट्रिपल तलाक (तीन तलाक) बिल पेश किया, विपक्षी दलों ने विधेयक को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की। राज्यसभा में सरकार के पास संख्याबलों का अभाव है।

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने राज्यसभा में बिल में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने कहा, 'मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 को राज्यसभा की प्रवर समिति के पास संसदीय जांच के लिए भेजा जाए, ताकि महिलाओं को पूर्ण न्याय और उनके हितों व कल्याण की रक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।'

आनंद शर्मा ने कहा कि सेलेक्ट कमेटी बजट सत्र के पहले सप्ताह में अपनी रिपोर्ट पेश कर सकती है।

इन दलों ने की सेलेक्ट कमेटी को भेजे जाने की मांग

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने इसके लिए नामांकित सदस्य केटीएस तुलसी के अलावा कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, टीएमसी, सपा, द्रमुक, बसपा, एनसीपी, सीपीआई-एम, टीडीपी, बीजद, सीपीआई, आरजेडी, आईयूएमएल और जेएमएम सहित विभिन्न विपक्षी दलों के 17 सदस्यों के नामों को प्रस्तावित किया।

विपक्ष की क्या है मांग?

ट्रिपल तलाक बिल में कहा गया है कि तलाक-ए-बिद्दत गैरकानूनी व दंडनीय अपराध होगा। ट्रिपल तलाक देने पर तीन साल जेल की सजा होगी। विपक्षी दलों ने इसका विरोध करते हुए सजा को कम करने की मांग की है। साथ ही उनका कहना है कि इसे आपराधिक न बनाया जाए।

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बिल में पति से आजीविका के लिए गुजारा भत्ता व पत्नी व आश्रित बच्चों की रोजमर्रा की जरूरतों के लिए दैनिक सहायता की व्यवस्था भी शामिल है। इसमें पत्नी के पास नाबालिग बच्चों की निगरानी का अधिकार भी होगा।

विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार ने बिल बनाते समय सभी पक्षों से बात नहीं की। ऐसे में बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए। ताकि इसकी कमियों को दूर किया जा सके।

कांग्रेस सहित विपक्षी दलों का कहना है कि कानून को सुनिश्चित करना चाहिए की महिला व बच्चों को गुजारा भत्ता व भरण पोषण रुके नहीं।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी ट्रिपल तलाक बिल को धर्म में हस्तक्षेप बताते हुए इसका विरोध किया है। उनका दावा है कि सरकार ने बिल तैयार करते समय उनसे बात नहीं की।

लोकसभा में ट्रिपल तलाक बिल को आसानी से मंजूरी मिल गई थी। जहां सरकार बहुमत में है। निचले सदन में विपक्ष के सभी संशोधन प्रस्ताव खारिज हो गये थे। विपक्षी दलों ने बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजे जाने की मांग की थी।

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