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ट्रिपल तलाक बिल लटका, संसद अनिश्चिकालीन के लिए स्थगित

मोदी सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद शीतकालीन सत्र में ट्रिपल तलाक बिल लटक गया। अब इसे आगामी बजट सत्र में पेश किया जा सकता है।

Updated on: 05 Jan 2018, 11:51 PM

highlights

  • शीतकालीन सत्र में ट्रिपल तलाक बिल लटका
  • राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकालीन तक के लिए स्थगित की
  • ट्रिपल तलाक बिल आगामी बजट सत्र में पेश किया जा सकता है

नई दिल्ली:

राज्यसभा के शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद अब विवादास्पद तीन तलाक विधेयक का भाग्य संसद के बजट सत्र के खाते में चला गया है। बजट सत्र 29 जनवरी से शुरू हो रहा है।

सरकारी सूत्रों ने इस बात से इनकार किया कि राज्यसभा में अटके इस विधेयक को लेकर अध्यादेश जारी हो सकता है।

लोकसभा में पारित यह विधेयक राज्यसभा में पारित नहीं हो सका। राज्यसभा में विपक्ष ने इस विधेयक को जांच-परख के लिए प्रवर समिति को भेजने की मांग की।

संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 को पारित करने पर राजी होंगे।

विधेयक में एक ही बार में पत्नी को तीन तलाक कहकर विवाह संबंध विच्छेद करने वाले मुस्लिम पुरुषों के लिए तीन साल के दंड का प्रावधान है।

इससे पहले ट्रिपल तलाक बिल को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच कई दौर की बैठकें हुई। लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला। राज्‍यसभा में जीएसटी संशोधन बिल भी लटक गया है।

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विपक्षी पार्टियां ट्रिपल तलाक बिल को प्रवर समिति (सेलेक्ट कमेटी) को भेजे जाने की मांग पर अड़ी थी। लेकिन सरकार ने विपक्षी दलों की मांगों को खारिज कर दिया। राज्यसभा में बिल पास कराने के लिए सरकार के पास संख्याबल की कमी है।

सरकार का कांग्रेस पर वार

संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने शुक्रवार को तीन तलाक विधेयक का विरोध करने को लेकर कांग्रेस पर मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अतीत से सीख लेना चाहिए व विधेयक को पारित होने देना चाहिए।

विधेयक पारित नहीं होने की स्थिति में अध्यादेश लाने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर अनंत कुमार ने कोई साफ जवाब नहीं देते हुए कहा, 'बजट सत्र के तारीखों का ऐलान पहले ही किया जा चुका है।'

उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर जनभावना को समझेगी, अपने रुख पर पुनर्विचार करेगी और बजट सत्र में इसे पारित कराएगी। इस मुद्दे पर लोगों में गुस्सा है।'

मंत्री ने विधेयक को पारित न होने देने के लिए कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने कहा कि वे भारत में मुस्लिम महिलाओं के सशक्तीकरण के खिलाफ हैं।

अनंत कुमार ने संवाददाताओं से कहा, 'वे मुस्लिम बहनों के साथ न्याय सुनिश्चित करने के बारे में नहीं सोच रहे हैं। वे शाह बानो मामले की तरह इस मामले में भी अन्याय कर रहे हैं।'

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कांग्रेस के विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की मांग की निंदा करते हुए कुमार ने कहा, 'हर दिन वे एक नया बहाना करते हैं और उनकी विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की मांग सभी को गुमराह करने की चाल है। मैं इसकी निंदा करता हूं।'

कुमार ने कहा, 'मोदी सरकार का इरादा बिलकुल साफ है। हम मुस्लिम महिलाओं के लिए समानता और सम्मान चाहते हैं जबकि कांग्रेस इसके खिलाफ है। उन्होंने अपना दोहरा मानदंड दिखाया है।'

लोकसभा से पास होने के बाद कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने मुस्लिम महिला (शादी पर सुरक्षा का अधिकार) विधेयक 2017 को 3 जनवरी को राज्यसभा में पेश किया था। जिसके बाद से लगातार विपक्ष अपनी मांग पर अड़ा था कि इसे प्रवर समिति के पास भेजा जाए।

कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों का कहना है कि विधेयक में कमियां हैं और इसे समिति के पास भेजे जाने की जरूरत है ताकि कमियों को दूर किया जा सके।

आपको बता दें कि सरकार ने बिल को लोकसभा से आसानी से पास करा लिया था। जहां उसके पास बहुमत है। निचले सदन में विपक्ष के सभी संशोधन प्रस्ताव खारिज हो गए थे।

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