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केपीएस गिल ने तोड़ी थी पंजाब आतंकवाद की क़मर, जानिए उनसे जुड़ी 10 बातें

गिल ने पंजाब में आतंकवाद को समाप्त करने में अहम भूमिका निभाई थी।

Updated on: 26 May 2017, 06:54 PM

नई दिल्ली:

पंजाब के पूर्व डीजीपी केपीएस गिल का शुक्रवार को दोपहर लगभग ढाई बजे, बीमारी के चलते दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया है। केपीएस गिल का पूरा नाम कुंवर पाल सिंह गिल था और वे 82 साल के थे। दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।

बता दें कि गिल ने पंजाब में आतंकवाद को समाप्त करने में अहम भूमिका निभाई थी। वे दो बार पंजाब के डीजीपी रहे और 1995 में भारतीय पुलिस सेवा से रिटायर हुए।

80 के दशक में पूरा पंजाब आतंकवाद की आग में झुलस रहा था तब सुपरकॉप के पीएस गिल ने खालिस्तानी आतंकवादियों से काफी सख्ती से निपटा था। और राज्य में आतंकवाद की कमर तोड़ने में अहम भूमिका निभाई थी।

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आइए एक नज़र डालते हैं उनसे जूड़ी 10 बातों पर जिसकी वजह से वो चर्चाओं में रहे।

- 1980 के दशक में सुपरकॉप के नाम से चर्चित पुलिस अधिकारी केपीएस गिल को पंजाब में चरमपंथ के ख़ात्मे का हीरो समझा जाता है।

- गिल दो बार पंजाब के डीजीपी रहे हैं। पुलिस की नौकरी छोड़ने के बाद गिल इंस्टिट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट तथा इंडियन हॉकी फेडरेशन (आईएचएफ) के अध्यक्ष भी रहे। हालांकि उनका यह कार्यकाल काफी विवादों भरा था।

- साल 1988 से 1990 तक पंजाब पुलिस के प्रमुख की भूमिका निभाने के बाद गिल को 1991 में फिर से पंजाब का डीजीपी नियुक्त किया गया था। इस दौरान पंजाब में सिख चरमपंथी और खालिस्तान आंदोलन समर्थकों सक्रिय थे। पंजाब में अलगाववादी आंदोलन को कुचलने के का सबसे ज्यादा श्रेय केपीएस गिल को ही जाता है।

- मई, 1988 में उन्होंने खालिस्तानी चरमपंथियों के ख़िलाफ़ ऑपरेशन ब्लैक थंडर की कमान संभाली थी। यह ऑपरेशन काफी कामयाब रहा था।

- साल 2000 से 2004 के बीच श्रीलंका ने लिब्रेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम (LTTE) के खिलाफ रणनीती बनाने के लिए भी गिल की मदद मांगी थी।

- साल 2006 में छत्तीसगढ़ राज्य ने गिल को नक्सलियों पर नकेल कसने के लिए सुरक्षा सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया था। गिल पर अक्सर मानवाधिकारों के हनन का आरोप भी लगते रहे।

- पंजाब चुनाव में आप की जीत की संभावना को देखते हुए उन्होंने कहा था कि आम आदमी पार्टी की जीत से एक बार फिर आतंकवाद की वापसी हो सकती है। पंजाब में आतंकवाद के सफाये के बाद से सैकड़ों की तादाद में खालिस्तान समर्थक कट्टरपंथी कनाडा और यूरोप के देशों में जाकर बस गए हैं। ये लोग हमेशा सिखों के अलग देश खालिस्तान के लिए गतिविधियां चलाते रहते हैं। लेकिन अब तक इन्हें किसी भी राजनीतिक दल या पंजाब के आम लोगों का समर्थन नहीं मिला। ऐसे में अरविंद केजरीवाल की पार्टी जाने-अनजाने में कट्टरपंथी सिखों को मंच दे रही है।

- मोदी के सलाहकार केपीएस गिल ने गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के लिए मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी थी।

- उनपर एक वरिष्ठ महिला आईएएस अधिकारी रूपन देओल बजाज के साथ यौन दुर्व्यवहार करने का आरोप लगा था। हालांकि 17 साल बाद अदालत ने गिल को दोषी ठहराया।

- सिविल सेव में बेहतरीन काम के लिए उन्हें 1989 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। 1988 से 1990 तक वो पंजाब के डीजीपी थे। इसके बाद में 1991 से 1995 तक दोबारा डीजीपी थे। 1995 में गिल आईपीएस के पद से रिटायर हुए थे।

सारी सफलताओं के बीच गिल विभिन्न कारणों से आलोचनाओं के केन्द्र में भी रहे हैं। गिल और उनके नेतृत्व वाले पुलिस बल पर आतंकवाद के दमन के नाम पर ज़्यादतियां करने के आरोप रहे हैं।

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