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इतिहास में आज का दिनः गुजरात के सूरत में 1600 ईस्वी में आज आया था अंग्रेजों का पहला जहाज, हेक्‍टर था नाम

भारत के सामुद्रिक रास्तों की खोज 15वीं सदी के अन्त में हुई जिसके बाद यूरोपीयों का भारत आना आरंभ हुआ।

Updated on: 24 Aug 2018, 12:37 PM

नई दिल्ली:

भारत के सामुद्रिक रास्तों की खोज 15वीं सदी के अन्त में हुई जिसके बाद यूरोपीयों का भारत आना आरंभ हुआ। हालांकि यूरोपीय लोग भारत के अलावा भी बहुत स्थानों पर अपने उपनिवेश बनाने में सफल हुए पर इनमें से कइयों का मुख्य आकर्षण भारत ही था।

इंग्लैँड के नाविको को भारत का पता लगभग 1578 ईस्वी तक नहीं लग पाया था। 1578 में सर फ्रांसिस ड्रेक नामक एक अंग्रेज़ नाविक ने लिस्बन जाने वाले एक जहाज को लूटा था। इस जहाज़ से उसे भारत जाने वाले रास्ते का मानचित्र मिला। 1600 ईस्वी को कुछ व्यापारियों ने इंग्लैँड की महारानी एलिजाबेथ को ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना का अधिकार पत्र दिया।

उन्हें पूरब के देशों के साथ व्यापार की अनुमति मिल गई। 1601-03 के दौरान कम्पनी ने सुमात्रा में वेण्टम नामक स्थान पर अपनी एक कोठी खोली। 1600 ईस्वी में विलियम हॉकिन्स नाम का एक अंग्रेज़ नाविक 'हेक्टर' नामक जहाज द्वारा सूरत पहुंचा। वहां आकर वह आगरा गया और जहांगीर के दरबार में अपनी एक कोठी खोलने की विनती की।

जहांगीर के दरबार में पुर्तगालियों की धाक पहले से ही थी। उस समय तक मुगलों से पुर्तगालियों की कोई लड़ाई नहीं हुई थी और पुर्तगालियों की मुगलों से मित्रता बनी हुई थी। विलियम हॉकिन्स को वापस लौट जाना पड़ा। पुर्तगालियों को अंग्रेजों ने 1611 में जावली की लड़ाई ( सूरत ) में पराजित कर दिया और सर थॉमस रो को इंग्लैंड के शासक जेम्स प्रथम ने अपना राजदूत बनाकर जहांगीर के दरबार में भेजा। वहां उसे सूरत में अंग्रेजी कोठी खोलने की अनुमति मिली।

इसके बाद बालासोर (बालेश्वर), हरिहरपुर, मद्रास (1633), हुगली (1651) और बंबई (1688) में अंग्रेज कोठियां स्थापित की गईं। पर अंग्रेजों की बढ़ती उपस्थिति और उनके द्वारा अपने सिक्के चलाने से मुगल नाराज हुए। उन्हें हुगली, कासिम बाज़ार, पटना, मछली पट्टनम्, विशाखा पत्तनम और बम्बई से निकाल दिया गया। 1690 में अंग्रेजों ने मुगल बादशाह औरंगजेब से क्षमा याचना की और अर्थदण्ड का भुगतानकर नई कोठियां खोलने और किलेबंदी करने की अनुमति प्राप्त करने में सफल रहे।

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इसी समय सन् 1611 में भारत में व्यापार करने के उद्देश्य से एक फ्रांसीसी कंपनी की स्थापना की गई थी। फ्रांसिसियों ने 1668 में सूरत, 1669 में मछली पट्टनम, 1674 में पाण्डिचेरी में अपनी कोठियां खोल लीं। आरंभ में फ्रांसिसयों को भी डचों से उलझना पड़ा पर बाद में उन्हें सफलता मिली और कई जगहों पर वे प्रतिष्ठित हो गए। पर बाद में उन्हें अंग्रेजों ने निकाल दिया। 1608 में विलयम हॉकिंस भारत आया और 400 का मनसब ( मुगलो के अधीन नौकरी) प्राप्त करने वाला प्रथम ब्रिटिश विलियम हॉकिंस ही था।