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Bharat Bandh: कांग्रेस के 'भारत बंद' को नहीं मिला इन राजनीतिक दलों का साथ, कहीं तीसरा मोर्चा बनाने की सुगबुगाहट तो नहीं!

सवाल उठता है कि बीजेपी के ख़िलाफ़ जब सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट हो रही है तो आख़िर यह पार्टियां अलग दिखने की कोशिश क्यों कर रही है? कहीं यह तीसरे मोर्चे की तैयारी की सुगबुगाहट तो नहीं।

Updated on: 10 Sep 2018, 11:32 AM

नई दिल्ली:

पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें और डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमतों को लेकर कांग्रेस, वाम दल और आरजेडी समेत कुल 20 पार्टियां भले ही विरोध प्रदर्शन कर रही हो लेकिन अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी समेत कई नेताओं ने अपनी पार्टी को इस बंद से दूर रखा है। सवाल उठता है कि बीजेपी के ख़िलाफ़ जब सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट हो रही है तो आख़िर यह पार्टियां अलग दिखने की कोशिश क्यों कर रही है? कहीं यह तीसरे मोर्चे की तैयारी की सुगबुगाहट तो नहीं।

गौरतलब है कि ममता बनर्जी कई बार दिल्ली आकर ग़ैर कांग्रेसी और ग़ैर बीजेपी मोर्चा के प्रतिनिधियों से बात की है और उस दौरान भी यही चर्चा थी कि पीएम मोदी और राहुल गांधी के अलावा एक तीसरे चेहरे पर भी चुनाव लड़ने की संभावना बन रही है। तो क्या यह मान लिया जाए कि आज होने वाले 'भारत बंद' से दूर रहकर उन्होंने संभावनाओं को सही करार दे दिया है।

आम आदमी पार्टी (आप) ने रविवार को स्पष्ट किया कि वह कांग्रेस द्वारा आहूत सोमवार के भारत बंद में शामिल नहीं होगी। 'आप' के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा, 'मुद्दा सही है, लेकिन कांग्रेस को ईंधन मूल्य वृद्धि और भारतीय रुपये में गिरावट के मुद्दे पर कोई नैतिक अधिकार नहीं है। इस बात को हजम कर पाना कठिन है कि कांग्रेस भारत बंद का आह्वान कर रही है।'

हालांकि सोमवार को बंद के दौरान आप पार्टी ने सांकेतिक तौर पर बंद का समर्थन किया है। राज्यसभा सांसद संजय सिंह और दिल्ली के पूर्व क़ानून मंत्री सोमनाथ भारती कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ दिखे। 

वहीं तृणमूल कांग्रेस ने भारत बंद से दूरी बनाते हुए कहा कि वह पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी जैसे मुद्दों को उठाती रहेगी, लेकिन विपक्षी पार्टियों के 10 सितंबर के भारत बंद को अपना समर्थन नहीं देगी। पार्टी महासचिव पार्था चटर्जी ने कहा, 'हमलोग हड़ताल का विरोध नहीं कर रहे हैं और न ही हम इसमें हिस्सा ले रहे हैं।'

ज़ाहिर है 2019 लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह राजनीतिक दल ग़ैर कांग्रेसी और ग़ैर बीजेपी मोर्चा बनाने की कवायद में है और इसी वजह से अलग दिखने की कोशिश में जुटी है। इतनी ही नहीं एनडीए की सहयोगी जैसे कि शिवसेना, टीडीपी जैसे कई राजनीतिक दल भी बीजेपी से छिटक रही है। ऐसे में संभावना बन रही है कि कांग्रेस-बीजपी से नाराज़ दल मिलकर डेमोक्रेटिक फ्रंट बना सकते हैं।  

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हालांकि आपको याद होगा कर्नाटक में शपथ ग्रहण सामारोह में ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के साथ नज़र आई थी। बता दें कि कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस (जनता दल सेक्युलर) के नेतृत्व में सरकार बनी है।

तो फिर सवाल यही है कि क्या ममता और केजरीवाल राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार नहीं करना चाहते? हालांकि कांग्रेस मानती है कि धीर-धीरे विपक्षी पार्टियों मे राहुल गांधी की स्वीकार्यता बढ़ी है। एक इंटरव्यू के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि भारत की जनता बीजेपी को सत्ता से बेदखल करना चाहती है और इसलिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ देख रही है। आज नहीं तो कल, विपक्षी नेताओं के बीच उनकी स्वीकार्यता होकर ही रहेगी।

खड़गे ने सोमवार को 'भारत बंद' को मिल रहे समर्थन पर ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कहा, 'राहुल गांधी को लोगों का समर्थन मिल रहा है, इससे विपक्ष के नेताओ के बीच उनका क़द और बढ़ेगा। उन्होंने कहा, 'हम बीजेपी को सत्ता से बेदखल करना चाहते हैं जिसके लिए हम सब साथ आ रहे हैं। हालांकि एक सच्चाई यह भी है कि देश के लोग राहुल गांधी में उम्मीद गदेख रहे हैं इसलिए उनकी स्वीकार्यता बढ़ रही है।'

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बता दें कि सोमवार को कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में प्रस्तावित 'भारत बंद' को समर्थन नहीं देने वाले दलों में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस, ओडिशा में नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल, महाराष्ट्र में शिवसेना, बिहार में नीतीश कुमार की जनता दल (यू) और दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) है।