logo-image

बिहार महागठबंधन तोड़ने में बीजेपी नेता सुशील मोदी की भूमिका रही खास, जाने उनका राजनीतिक करियर

अकूत-अवैध जायदाद मामले को लेकर पहले तो सुशील मोदी ने लालू परिवार की मुश्किल बढ़ाई बाद में रही-सही कसर सीबीआइ ने पूरी कर दी।

Updated on: 27 Jul 2017, 09:48 AM

highlights

  • सुशील मोदी ने लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप पर मिट्टी घोटाले का आरोप लगाया था 
  • भ्रष्टाचार मुद्दे को लेकर सुशील मोदी ने लालू यादव और उनके परिवार पर भी हमला किया
  • सुशील मोदी ने ही लालू यादव के पटना में मॉल का मुद्दा भी उठाया था

नई दिल्ली:

बिहार में महागठबंधन को तोड़ने में अगर किसी नेता की भूमिका सबसे ज़्यादा रही तो वो हैं बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) के सुशील मोदी। ये सुशील मोदी ही थे जिन्होंने चारा घोटाला सहित लालू यादव से जुड़े भ्रष्टाचार के मुद्दों को हवा दी और उनकी राजनीति ख़राब की। आलय ये है कि अब उनके मंत्री पुत्रों तेजस्वी और तेजप्रताप यादव के राजनीतिक भविष्य पर ग्रहण लग गया है।

अकूत-अवैध जायदाद मामले को लेकर पहले तो सुशील मोदी ने लालू परिवार की मुश्किल बढ़ाई बाद में रही-सही कसर सीबीआइ ने पूरी कर दी। सुशील मोदी शुरुआत से ही भ्रष्टाचार के मामले को लेकर लालू और उनके उत्तराधिकारी पर अपना शिकंजा कसते रहे।

सुशील मोदी का हमला

- 4 अप्रैल 2017 को सुशील मोदी ने लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप पर मिट्टी घोटाले का पहला आरोप लगाया।
- बाद में भ्रष्टाचार मुद्दे को लेकर सुशील मोदी ने लालू यादव और उनके परिवार पर भी हमला किया।
- सुशील मोदी ने ही लालू यादव के पटना में मॉल का मुद्दा भी उठाया था।
- बाद में सुशील मोदी ने लालू यादव पर बेनामी संपत्ति बनाने का भी आरोप लगाया।
- सुशील मोदी लगातार कई दिनों तक दस्तावेजों के साथ लालू परिवार पर हमला बोलते रहे।

राजनीति में आने से पहले का सफर

सुशील कुमार मोदी राजनीति के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहे। छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहने वाले सुशील कुमार मोदी 1971 में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के 5 सदस्यीय कैबिनेट के सदस्य निर्वाचित हुए।

1968 में उन्होंने आरएसएस का उच्चतम प्रशिक्षण यानी अधिकारी प्रशिक्षण कोर्स ज्वाइन किया जो तीन साल का होता है। मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने आरएसएस के विस्तारक की भूमिका में दानापुर व खगौल में काम किया और कई स्थानों पर आरएसएश की शाखाएं शुरु करवायीं।

VIDEO: BJP से गठबंधन पर JDU में विरोध के सुर, अली अनवर बोले- मेरा जमीर नीतीश के फैसले के साथ नहीं

बाद में उन्हें पटना शहर के संध्या शाखा का इंचार्ज भी बनाया गया। मोदी के परिवार का रेडीमेड वस्त्रों का पारिवारिक कारोबार था और घर वाले चाहते थे कि वे कारोबार संभालें, लेकिन उन्होंने इस इच्छा के विपरीत जाकर सेवा का रास्ता चुना।

1973-1977 में मोदी पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महामंत्री बने। उसी साल लालू प्रसाद यादव अध्यक्ष और रविशंकर प्रसाद संयुक्त सचिव चुने गये थे।

सुशील कुमार मोदी छात्र जीवन से ही आंदोलनकारी छात्र रहे हैं। 1972 में मोदी पहली बार छात्र आंदोलन के दौरान 5 दिन जेल में रहे। जेपी आंदोलन एवं आपातकाल के दौरान 1974 में उनको 5 बार मीसा में गिरफ्तार किया गया। आपातकाल के 19 महीने की जेल यात्रा को मिलाकार मोदी 24 महीने जेल में रहे।

तेजस्वी का नीतीश पर वार, कहा- 'मैं तो एक बहाना था, बीजेपी की गोद में जाना था'

भारतीय जनता पार्टी में सुशील कुमार मोदी को कई दायित्व दिये गये। 1995 में मोदी भाजपा विधानमंडल के मुख्य सचेतक निर्वाचित हुए और उसी वर्ष उनको भाजपा ने राष्ट्रीय मंत्री भी बनाया। वर्ष 2004 में मोदी भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने और 2005 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने।

बिहार सरकार में मोदी वर्ष 2000 में संसदीय कार्य मंत्री बने और 2005 में लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर बिहार विधान परिषद के सदस्य बने। 2012 में मोदी दूसरी बार बिहार विधानसभा के सदस्य बने। 2005 में मोदी बिहार के उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री बने।

सुशील कुमार मोदी भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिज्ञ और बिहार के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। वे बिहार के वित्त मंत्री भी रह चुके हैं।

नीतीश के इस्तीफे से महागठबंधन टूटा, जानें क्यों बढ़ी लालू यादव से दूरी