SC ने सरकार से पूछा, क्या नोटबंदी का फैसला पूरी तरह से गोपनीय था?
नोटबंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपये के नोटों को अमान्य घोषित कर दिया था।
highlights
- नोटबंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है।
- 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपये के नोटों को अमान्य घोषित कर दिया गया था
New Delhi:
नोटबंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपये के नोटों को अमान्य घोषित कर दिया था। पीएम मोदी के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि जब आपने नोटबंदी का फैसला लिया था, तब क्या यह पूरी तरह से गोपनीय था।
Supreme Court asks Central Government 'when you made the policy on #demonetization, was it confidential?'
— ANI (@ANI_news) December 9, 2016
केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, 'सरकार ने नोटबंदी के बाद लोगों को हुई परेशानियों को कम करने के लिए सरकार ने सभी हर संभव कदम उठाए हैं।'
वहीं याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि एटीएम में नकदी नहीं है और अभी तक बैंकों के एटीएम को नए नोटों के मुताबिक बदला नहीं गया है। उन्होंने कहा कि कैश देने के मामले में सरकार सहकारी बैंकों के साथ भेदभाव कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता और सरकार से नोटबंदी को लेकर हो रही लोगों की परेशानियों को कम किए जाने के बारे में सुझाव मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि आखिर क्यों जिला सहकारी बैंकों को पुराने नोट लेने की अनुमति नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से पूछा, 'अगर आपने प्रति हफ्ते 24000 रुपये निकालने की सीमा तय की है तब बैंकों को लोगों को इतना पैसा देने से मना करना चाहिए।' अटॉर्नी जनरल ने कहा कि 24,000 रुपया बचत खातों से रकम निकालने की अधिकतम सीमा है। इसके बाद चीफ जस्टिस ने पूछा कि अगर यह अधिकतम सीमा है तो आपने बैंक खातों से रकम निकालने की न्यूनतम सीमा क्यों नहीं तय की।
CJI asks Centre as to why order of the Union of granting limit of Rs 24,000 per day to a person had not been complied with. #DeMonetisation
— ANI (@ANI_news) December 9, 2016
याचिकाकर्ता ने कहा कि नोटबंदी के बाद दिल्ली के बैंकों में भी कैश नहीं है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वह हर हफ्ते बैंक से निकाली जाने वाली न्यूनतम रकम पर सरकार से निर्देश लेंगे। मामले की अगली सुनवाई अब 14 दिसंबर को होगी।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला गंभीर है और सबकी बात सुना जाना जरूरी है। पहले इससे लोगों को हो रही परेशानी को सुना जाएगा और फिर सरकार के इस आदेश की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होगी। इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट यह भी तय करेगा कि हाईकोर्ट में चल रहे मामलों को दिल्ली हाईकोर्ट ट्रांसफर किया जाए या सुप्रीम कोर्ट ही सुने।
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