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राइट टू प्राइवेसी पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनाएगा फैसला

2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को लेकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

Updated on: 23 Aug 2017, 08:15 PM

highlights

  • सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को निजता के अधिकार को लेकर फैसला सुना सकता है
  • आठ दिनों की सुनवाई के बाद 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था
  • जे.एस. खेहर की अध्यक्षता में 9 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही हैै

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को राइट टू प्राइवेसी यानी कि निजता के अधिकार को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुना सकता है। बता दें कि आठ दिनों की सुनवाई के बाद 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

गुरुवार को ये तय किया जाएगा कि निजता के अधिकार को संविधान के तहत मूल अधिकार माना जाए या नहीं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध निजी सूचना के संभावित गलत इस्तेमाल को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि टेक्नोलॉजी के इस दौर में प्राइवेसी की सुरक्षा 'हारी हुई बाजी' है।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में आधार कार्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं लंबित है। याचिकाकर्ताओं की मुख्य दलील है कि आधार कार्ड के लिए बायोमेट्रिक रिकॉर्ड की जानकारी लेना निजता का हनन  है। जबकि सरकार की अब तक ये दलील रही है कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है।

इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने तय किया कि आधार कार्ड की वैधता पर सुनवाई से पहले ये तय किया जाए कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं।

इस मामले की सुनवाई के दौरान UIDAI ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि प्राइवेसी एक कीमती अधिकार है। इसे आधार एक्ट में भी सरंक्षण दिया गया है।

आधार के जरिए नागरिक को ट्रेक नहीं किया जा सकता। यहां तक कि अगर कोर्ट अनुमति दे तो भी सरकार इसे सर्विलांस के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकती।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जे.एस. खेहर की अध्यक्षता में 9 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ 1954 और 1962 के दो फैसलों के संदर्भ में निजता के अधिकार मामले की सुनवाई कर रही है। आधार कार्ड से जुड़े मामले में इसकी समीक्षा बेहद ज़रुरी है।

 

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न्यायमूर्ति खेहर के अलावा नौ सदस्यीय पीठ में न्यायमूर्ति चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति आर.के. अग्रवाल, न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन, न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे, न्यायमूर्ति डी.वाय. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर शामिल हैं।

एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता, कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने प्राइवेसी के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में शामिल किए जाने के पक्ष और विरोध में दलीलें पेश कीं।

माना जा रहा है कि गुरुवार को इस मामले में फैसला आ सकता है क्योंकि 27 अगस्त को चीफ़ जस्टिस खेहर रिटायर हो रहे हैं। बता दें कि जस्टिस खेहर की अगुवाई में ही मंगलवार को तीन तलाक के ख़िलाफ़ ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया था।

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मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ ने कई बातें कही जो इस मामले के लिए बेहद अहम है।

1.सुप्रीम कोर्ट ने कहा सरकार को किसी भी चीज में वाजिब प्रतिबंध लगाने से नहीं रोक सकते। क्या कोर्ट निजता की व्याख्या कर सकता है? ये केटेलाग नहीं बनाया जा सकता कि किन चीजों से मिलकर प्राइवेसी बनती है।

2. कोर्ट ने कहा निजता का आकार इतना बड़ा है कि इसमें हर मुद्दा शामिल है। अगर सबको निजता की सूची में रखा जाएगा तो इसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। निजता स्वतंत्रता का एक सब सेक्शन है।

3.कोर्ट रूम में एक जस्टिस ने उदाहरण देते हुए कहा, अगर मैं अपनी पत्नी के साथ बेडरूम में हूं तो ये निजता का हिस्सा है और ऐसे में पुलिस मेरे कमरे में नहीं घुस सकती। लेकिन अगर मैं बच्चों को स्कूल भेजूं या ना भेजूं ये निजता नहीं बल्कि राइट टू एजूकेशन का हिस्सा है।

4.कोर्ट ने कहा आज बैंक में लोग लोन लेने के लिए अपनी जानकारी देते हैं ये सब कानून के तहत होता है यहां बात अधिकार की नहीं है। आज डिजिटल युग में डेटा की सुरक्षा अहम मुद्दा है और इसके लिए सरकार को कानून बनाने का अधिकार है।

5. सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाले पीठ के सामने बहस शुरू करते हुए कहा जीने का और स्वतंत्रता का अधिकार पहले से मौजूद नैसर्गिक अधिकार है।

6. सुनवाई के दौरान पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने कहा संविधान राइट टू प्राइवेसी नहीं लिखा है लेकिन इसका ये मतलब नहीं की ये नहीं है। निजता हर व्यक्ति का अभिन्न अंग है।

7. कोर्ट में कहा गया संविधान आर्टिकल 19 के तहत प्रेस की आजादी का अधिकार नहीं देता लेकिन इसे अभिव्यक्ति की आजादी के तौर पर देखा जाता है जिसे कोर्ट भी मानता है।

8. कोर्ट में बताया गया कि राज्यसभा में आधार बिल पेश करते हुए वित्त मंत्री जेटली ने भी माना था कि प्राइवेसी एक मौलिक अधिकारी है।

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