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सुप्रीम कोर्ट ने हानिकारक कीटनाशकों को बैन करने की याचिका पर केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केन्द्र सरकार से उन सभी कीटनाशकों को बैन करने की याचिका पर छह हफ्तों के अंदर जवाब मांगा है, जो दूसरे देशों में प्रतिबंधित है।

Updated on: 13 Nov 2017, 10:24 PM

highlights

  • SC ने केन्द्र सरकार और रसायन व उर्वरक और कृषि मंत्रालयों से इस याचिका को लेकर नोटिस जारी किया
  • याचिका में इस प्रकार के कीटनाशकों के विज्ञापनों और इसके मार्केटिंग और प्रमोशन को बैन करने की मांग की गई है

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से उन सभी कीटनाशकों को बैन करने की याचिका पर छह हफ्तों के अंदर जवाब मांगा है, जो दूसरे देशों में प्रतिबंधित है।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस ए एम खानविलकर और डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने केंद्र सरकार और रसायन व उर्वरक और कृषि मंत्रालयों से इस याचिका को लेकर नोटिस जारी किया है।

याचिका में इस प्रकार के कीटनाशकों के विज्ञापनों और इसके मार्केटिंग और प्रमोशन के अस्वीकार्य व्यवहार को बैन करने की मांग की गई है।

यह याचिका वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के द्वारा फाइल की गई है, जिसमें एक निश्चित समय सीमा के अंदर एक एक्सपर्ट कमेटी बनाने की मांग की गई है। जो सभी रसायनिक कीटनाशकों को खत्म करने के मुद्दे की जांच करे।

दायर की गई याचिका में जैविक खेती को बढ़ावा देने की भी बात की गई है। साथ ही केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किसानों को जैविक खेती की तरफ मोड़ने के लिए मदद करने की बात कही गई है।

गौरतलब है कि विदेशों में 93 प्रकार के रसायनिक कीटनाशकों के उपयोग पर प्रतिबंध है, लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। हालांकि भारत में जिन कुछ कीटनाशकों पर प्रतिबंध है, उसका उपयोग भी धड़ल्ले से हो रहा है।

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याचिका में यह भी कहा गया है, 'कई सारे वैज्ञानिक पेपरों और अध्यननों के अनुसार कीटनाशकों के प्रयोग के कारण कैंसर, डीएनए की क्षति, दिमाग और तंत्रिका तंत्रों की हानि जैसी खतरनाक बीमारियों का सामना करना पड़ता है।'

इसमें राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्टों का भी जिक्र किया गया है, जिसमें कहा गया है कि पिछले दो दशकों में लगभग तीन लाख किसानों ने आत्महत्या की है। जो कि प्रतिदिन के हिसाब से 46 होता है।

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