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कर्नाटक मामला: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान किसने क्या कहा?

येदियुरप्पा शुक्रवार से बहुमत साबित करने तक किसी भी तरह के नीतिगत फैसले नहीं ले सकते। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट से पहले ऐंग्लो-इंडियन सदस्य को नॉमिनेट नहीं करने का आदेश दिया है।

Updated on: 18 May 2018, 01:51 PM

नई दिल्ली:

कर्नाटक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि शनिवार को शाम 4 बजे ही फ्लोर टेस्ट करा लिया जाए। इससे पहले राज्यपाल वजुभई वाला ने बीजेपी को 15 दिनों में बहुमत साबित करने का मौक़ा दिया था।

इतना ही नहीं येदियुरप्पा शुक्रवार से बहुमत साबित करने तक किसी भी तरह के नीतिगत फैसले नहीं ले सकते। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट से पहले ऐंग्लो-इंडियन सदस्य को नॉमिनेट नहीं करने का आदेश दिया है।

अभिषेक मनु सिंघवी ने फैसले पर कहा, 'आज उच्चतम न्यायालय ने एक ऐतिहासिक आंतरिक आदेश दिया है।इसके तहत तुरंत बहुमत परीक्षण होगा जो कि कल 4 बजे होगा और एक प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाएगा। सबसे महत्वपूर्ण येदियुरप्पा जी के वकील ने माना कि कल तक येदियुरप्पा जी कोई नीतिगत निर्णय नहीं लेंगे।'

सिंघवी ने फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि हमने महत्वपूर्ण कानूनी मुद्दा उठाया था कि क्या राज्यपाल जी ऐसी पार्टी को न्योता दे सकते हैं जिनकी गणित सिर्फ 104 की है जबकि हमारे पक्ष में 117 विधायक हैं। इस केस पर सुनने के लिए 10 हफ्ते बाद की तारीख लगाई है। साथ ही सर्वोच्च अदालत ने आदेश दिया कि किसी अतिरिक्त नए विधायक को एंग्लो इंडियन समुदाय के आधार पर मनोनीत नहीं किया जा सकता है।' 

बता दें कि कांग्रेस-जेडीएस ने राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की थी।

याचिका में दो सवाल उठाए गए थे। पहला यह कि राज्यपाल अल्पमत वाले दल को सरकार बनाने का पहले न्योता कैसे दे सकते हैं। दूसरा यह कि राज्यपाल ने बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया है जिससे विधायकों के ख़रीद-फ़रोख़्त का ख़तरा है।

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कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, 'राज्यपाल कैसे बीजेपी को बहुमत सिद्ध करने का मौका दे सकते हैं, जबकि कांग्रेस-जेडीएस के पास पूरी संख्या है।'

आगे उन्होंने कहा, 'येदियुरप्पा कह रहे हैं कि हमारे पास विधायकों का समर्थन है, लेकिन कौन-कौन साथ है? जबकि कांग्रेस-जेडीएस ने सभी 117 के नाम लिख कर राज्यपाल को दिए।'

जस्टिस सीकरी ने सवाल उठाते हुए पूछा कि अगर दो पार्टियां अपने-अपने दावे कर रही हैं, तो गवर्नर ने किस आधार पर फैसला किया?

इस पर बीजेपी के वकील रोहतगी ने कहा कि राज्यपाल ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया है और उन्हें जमीनी हकीकत पता है।

जिसके बाद कांग्रेस के वकील सिंघवी ने पूछा कि राज्यपाल यह कैसे सोच सकते हैं कि बीजेपी बहुमत साबित कर सकती है जब जेडीएस और कांग्रेस के पास बहुमत है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बीएस येदियुरप्पा ने कहा है कि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है फिर 2 विक्लप है-राज्यपाल के फैसले का टेस्ट किया जाए और शनिवार को ही फ्लोर टेस्ट हो।

जिसके बाद कांग्रेस के वकील सिंघवी ने कहा कि वो शनिवार को फ्लोर टेस्ट कराने के लिए तैयार है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट से फ्लोर टेस्ट की विडियोग्राफी करवाने की भी मांग की।

जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह डीजीपी को आदेश देगा ताकि शनिवार को फ्लोर टेस्ट ठीक से हो सके।

हालांकि बीजेपी वकील रोहतगी ने कहा कि फ्लोर टेस्ट शनिवार को नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कम से कम एक सप्ताह का समय मिलना चाहिए, ये राज्यपाल का विशेषाधिकार है। एक दिन फ्लोर टेस्ट का निर्देश देकर संतुलन नहीं बनाया जा सकता।

कर्नाटक राज्य में विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। प्रदेश की 224 सदस्यीय विधानसभा में 222 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी को 104, कांग्रेस को 78 और जेडीएस+ को 38 सीटें मिली हैं। फिलहाल, बहुमत के लिए जादुई आंकड़ा 112 है।

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