logo-image

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की सैलरी बढ़ाने की सिफारिश को सरकार की मंजूरी, तीन गुना ज्यादा होगा वेतन

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों को दिए गए सैलरी को बढ़ाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।

Updated on: 26 Mar 2017, 02:16 PM

नई दिल्ली:

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की सैलरी बढ़ाने के सुप्रीम कोर्ट के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस फिलहाल इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा एक लाख रुपये प्रति महीने की सैलरी पाते हैं। इसमें महंगाई और दूसरे भत्ते शामिल नहीं हैं। नई सिफारिशों के लागू होने के बाद उनका वेतन 2.8 लाख रुपए तक बढ़ाया जा सकेगा। इसका अलावा उन्हें आधिकारिक आवास, गाड़ियां, स्टाफ और दूसरे भत्ते भी मिलेंगे।

और पढ़ें: शिवसेना ने सामना में लिखा, राम मंदिर के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं पीएम मोदी का आदेश चाहिये

सरकार हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों और सुप्रीम कोर्ट के जजों की सैलरी को प्रति माह 2.5 लाख रुपये कर सकती है। इसमें भत्ते शामिल नहीं हैं। इस तरह जजों की सैलरी भी कैबिनेट सेक्रटरी और सीएजी, मुख्य चुनाव आयुक्त जैसे संवैधानिक अधिकारियों के बराबर हो जाएगी। इसी तरह हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की सैलरी भी बढ़कर 2.25 लाख रुपये प्रति महीने हो जाएगी, जिसमें भत्ते शामिल नहीं हैं।

सुप्रीम कोर्ट की समिति द्वारा प्रस्तावित सिफारिशों को सरकार ने पूर्ण रूप से स्वीकार नहीं किया है। तीन न्यायाधीशों के पैनल ने चीफ जस्टिस के लिए प्रति माह 3 लाख रुपये से अधिक सैलरी देने की सिफारिश की थी, लेकिन सरकार ने इसे 2.8 लाख रुपये प्रति महीने तय की। यह कैबिनेट सेक्रटरी की सैलरी से थोड़ा ज्यादा है। इसी पैनल ने जजों के पैनल में रिटायर हुए न्यायाधीशों के लिए एक उच्च पेंशन लाभ की भी सिफारिश की थी। 

और पढ़ें: बाबरी विध्वंस षड्यंत्र मामले में आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती के खिलाफ षड्यंत्र तय करने पर सुनवाई कल तक के लिये टली

न्यायाधीशों के वेतन वृद्धि के संबंध में तीन जजों की समिति ने कुछ महीने पहले ही सरकार को अपनी सिफारिशें दी थीं। न्यायाधीशों की सैलरी बढ़ाने के लिए कैबिनेट नोट तैयार कर लिया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इसे जल्द ही मोदी कैबिनेट की मंजूरी मिल जाएगी। सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद कानून मंत्री न्यायाधीशों की सैलरी में संशोधन संबंधी विधेयक संसद में पेश करेंगे। दरअसल सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की सैलरी हर 10 साल पर संशोधित होती है।

और पढ़ें: SC का अयोध्या विवाद को अदालत से बाहर सुलझाने का सुझाव, पहले भी 10 बार हो चुकी है बातचीत