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Sri krishna janmashtami 2018 : नंद के घर आनंद भयो, हुआ कान्हा का जन्म

जन्माष्टमी का त्योहार आज पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। आज रात 12 बजे कान्हा का जन्म होगा।

Updated on: 04 Sep 2018, 12:26 AM

नई दिल्ली:

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार आज पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। रात 12 बजे कान्हा का जन्म होगा। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र व्याप्त भाद्र पद अष्टमी को मध्य रात्रि में हुआ था। जन्म के समय स्थिर लग्न वृष का उदय हो रहा था और चन्द्रमा का संचरण भी वृष राशि में ही हो रहा था। इसी कारण प्रत्येक वर्ष वृष लग्न एवं वृष राशि मे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव विश्वभर में मनाया जाता है।राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जन्माष्टमी की देशवासियों को बधाई दी।

नटखट बाल गोपाल के लिए 56 भोग तैयार किया जाता है। कई जगहों पर कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर दही -हांडी कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है। इस आयोजन में युवाओं की टोली बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है। दही-हांडी सबसे ज्यादा लोकप्रिय महाराष्ट्र में है।  

मथुरा में जगह-जगह भगवान कृष्ण के मंदिरों में कान्हा के भक्तों का तांता लगा हुआ है।

LIVE अपडेट्सः

# नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की से गूंजा मंदिर परिसर।

# हुआ कृष्ण का जन्म।

बंद हुए कन्हैया के कपाट

मथुरा के कृष्णा जनमभूमी मंदिर में लग रहे हैं कान्हा के जयकारे।

गुजरात के अहमदाबाद में स्थित कामेश्वक मंदिर में भी जन्माष्टमी की धूम देखने को मिली।

दिल्ली के इस्कॉन मंदिर कृष्ण जन्माष्टमी मनाते नजर आए भक्त।

# मथुरा में जन्नमाष्टमी मनाने के लिए श्रीकृष्ण जन्माभूमि मंदिर में कन्हैया के भक्तों की भारी भीड़ लगी हुई है।

पंजाब के अमृतसर के दुर्गियाना मंदिर में जन्माष्टमी को धूमधाम से मनाया गया।


गुवाहाटी के इस्कॅान मंदिर में भी कृष्ण पर्व की धूम रही।

# दिल्ली के प्रसिध्द इस्कॅान मंदिर में भक्त कान्हा के रंग में रंगे नजर आए।

कृष्ण जन्माष्टमी: ये हैं पूजा के शुभ मुहूर्त, मिलेगा पूर्ण लाभ

2018 में श्री कृष्ण जन्माष्टमी 3 सितंबर

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त

जन्माष्टमी के दिन निशिता पूजा का समय = 23:57 से

जन्माष्टमी में मध्यरात्रि का क्षण = 24:20

क्या है कृष्ण जन्माष्टमी का इतिहास

पौराणिक मान्याताओं के अनुसार द्वापर युग मथुरा में कंस नाम का राजा था और उनकी एक चचेरी बहन देवकी थी। कंस अपनी बहन देवकी से बेहद प्यार करता था। उन्होंने उनका विवाह वासुदेव नाम के राजकुमार से हुआ था। देवकी के विवाह के कुछ दिन पश्चात ही कंस को ये आकाशवाणी हुई की देवकी की आठवीं संतान उसका काल बनेगा। यह सुनकर कंस तिलमिला गए और उसने अपनी बहन को मारने के लिए तलवार उठा ली, लेकिन वासुदेव ने कंस को वादा किया कि वो अपनी आठों संतान उसे दे देंगे मगर वो देवकी को ना मारे।

इसके बाद कंस ने देवकी और वासुदेव को मथुरा के ही कारागार में डाल दिया। देवकी के सातों संतान को कंस ने बारी-बारी कर के मार डाला। जब देवकी ने आठवीं संतान के रूप में श्रीकृष्ण को जन्म दिया तो उन्हें कंस के प्रकोप से बचाने के लिए गोकुल में अपने दोस्त नंद के यहां भिजवा दिया।

कहते है कृष्ण के जन्म के समय उस रात कारागार में मौजूद सभी लोग निंद्रासन में चले गए थे।