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शिवसेना ने सामना में लिखा, राम मंदिर के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं पीएम मोदी का आदेश चाहिये

उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना ने सामना में लिखा है कि राम मंदिर के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं पीएम मोदी के आदेश की जरूरत है।

Updated on: 23 Mar 2017, 09:24 AM

highlights

  • अयोध्या मामले पर SC की टिप्पणी पर शिवसेना ने कहा, जिनसे परिणाम की अपेक्षा है वे सलाह ना दें
  • शिवसेना ने कहा, राम मंदिर बनेगा तो अभी ही और उसके लिए कोर्ट नहीं बल्कि मोदी के आदेश की आवश्यकता
  • शिवसेना ने सामना में लिखा, पूरा देश आज मोदी का सुनता है। देश में ऐसा माहौल है कि मुसलमान भी सुनेंगे

नई दिल्ली:

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद शिवसेना ने कहा है कि जिनसे परिणाम की अपेक्षा है वे सलाह ना दें। देश में ऐसे सलाहकारों की संख्या बढ़ रही है।

शिवसेना ने कहा, 'सोमनाथ से अयोध्या तक रक्षयात्रा निकालने वाले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को शिखर पर ले जानेवाले आडवाणी केवल बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल में हैं और नरेंद्र मोदी का राज बीजेपी और देश में शुरू है। इसलिए राम मंदिर बनेगा तो अभी ही और उसके लिए कोर्ट नहीं बल्कि मोदी के ही आदेश की आवश्यकता है।'

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि जिनसे परिणाम की अपेक्षा है वे सलाह ना दें। देश में ऐसे सलाहकारों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन हमारा सुप्रीम कोर्ट भी देशवासियों और नेताओं को सलाह देने का झंझट देने लगा है।

शिवसेना ने कहा कि अयोध्या के राम मंदिर के मुद्दे पर 'चर्चा से मार्ग निकाले' ऐसा मार्गदर्शन सुप्रीम कोर्ट ने किया है। सच कहें तो इस मामले में कोर्ट से न्याय की अपेक्षा थी। स्पष्ट परिणाम की अपेक्षा थी लेकिन उसके बदले 'चर्चा से मार्ग निकालें' ऐसी सलाह दी गयी।

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संपादकीय में आगे कहा गया है, 'जब राम मंदिर के मामले में ऐसा ही सलाह देना था तो अन्ना हजारे, रामदेव बाबा और आडवाणी आदि लोगों के पास भेजा जा सकता था। नागपुर जाकर भी श्री मोहनराव भागवत के सामने भी पालथी मारकर बैठा जा सकता था। लेकिन चर्चा और मार्गदर्शन से साध्य नहीं हुआ इसलिए तो राम मंदिर का मामला कोर्ट में गया।'

सामना में शिवसेना ने लिखा, 'डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी को याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में यह सुनवाई शुरू है तथा अयोध्या की राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की अनुमति देने के सन्दर्भ में न्यायालय आदेश दे, ऐसी मांग स्वामी ने की है। स्वामी की याचिका में देशवासियों की भावना है। स्वामी ने कोर्ट से सलाह नहीं मांगी थी बल्कि आदेश माँगा था।'

शिवसेना ने कहा, 'कई बार तो अनावश्यक कोर्ट ही हस्तक्षेप करते हैं। देश में मानो कोर्ट का ही राज है। राम मंदिर के मामले में कोर्ट स्पष्ट फैसला नहीं दे रहा है? यह धर्म और आस्था से जुड़ा हुआ मामला है यह कहने के लिए किसी न्यायालय की आवश्यकता नहीं है। राम मंदिर का मुद्दा अगर चर्चा से सुलझ सकता है तो किसी को क्या दिक्कत है?'

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सामना में यह भी कहा गया है कि बाबरी मस्जिद अब विध्वंस हो ही गयी है और वहां छोटा राम मंदिर बना ही है। मस्जिद की बात करें तो उस जगह कभी कोई नमाज़ पढ़ने नहीं जाता था। इसलिए विवादित ज़मीन पर से मुसलमानों को अपना अधिकार छोड़ देने चाहिए।

मुंबई, कोलकाता और लखनऊ सहित कई स्थानों पर मुसलमान रास्ते पर नमाज़ पढ़ते हैं। इसलिए किसी एक विशिष्ट स्थान के लिए हठ करना ठीक नहीं।

गत 25 सालों में राजनीति बदल चुकी है। उत्तरप्रदेश के परिणाम पूरी तरह बीजेपी के पक्ष में आये और यह इशारा राम मंदिर की तरफ है। श्रद्धा के सन्दर्भ में यह लोगों ने ही पसंद किया है इसलिए इस मामले में कोई न्यायालय ना पड़े।

पूरा देश आज मोदी का सुनता है। देश में ऐसा माहौल है कि मुसलमान भी सुनेंगे। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इसके आगे उत्तरप्रदेश में दंगे नहीं होने देंगे। यह चेतावनी ध्यान में रखी जाये तो मुस्लिम संगठन को हठ छोड़ना चाहिए और राम मंदिर बनाने में साथ देना चाहिए।