मुसलमानों के हिस्से की जमीन राम मंदिर के लिए दान की जाए: शिया वक्फ बोर्ड
शिया वक़्फ़ बोर्ड ने कोर्ट में कहा कि अयोध्या की विवादित जमीन पर मुस्लिम हिस्से का वह हक़दार है क्योंकि बाबरी मस्ज़िद मीर बाकी ने बनाई थी, जो खुद शिया था।
नई दिल्ली:
अयोध्या भूमि विवाद को लेकर केंद्रीय शिया वक्फ बोर्ड ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वास्तव में विवादित भूमि में मुसलमानों के शेयर का असल दावेदार वही हैं क्योंकि बाबरी मस्जिद मीर बाकी ने बनवाई थी, जो एक शिया थे।
शिया वक्फ बोर्ड ने कोर्ट में कहा कि वह इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा मुसलमानों को दी गई एक तिहाई भूमि दान करना चाहते हैं जिससे कि वहां राम मंदिर बनाया जा सके।
अयोध्या भूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई अब 20 जुलाई को होगी।
शिया बोर्ड ने कहा, 'देश में एकता, शांति और सद्भावना के लिए वो विवादित जमीन के मुस्लिम वाले हिस्से को राम मंदिर निर्माण के लिए हिंदुओं को देने के लिए तैयार है।'
शिया बोर्ड ने कहा, 'बाबरी मस्जिद का संरक्षक शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड है। कोई अन्य भारत में मुस्लिमों का प्रतिनिधि नहीं है।'
Ayodhya case: Shia Waqf board submitted to the Supreme Court that they want to settle the dispute by peace. Shia Waqf Board said the custodian of the Babri mosque was a Shia and that the Sunni Waqf Board or anyone else is not the representative of Muslims in India.
— ANI (@ANI) July 13, 2018
वही दूसरी ओर सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड और मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश वकील राजीव धवन ने दलील दी कि बर्मा में गौतम बुद्ध की मूर्ति को मुस्लिम तालिबान ने ख़त्म किया, वही बाबरी मस्ज़िद को 'हिन्दू तालिबान' ने खत्म किया।
राजीव धवन ने कहा, 'इस मामले में शिया वक्फ बोर्ड के बोलने का कोई मतलब नहीं है। जिस तरह तालिबान ने बामियान को ढहाया था, उसी तरह हिंदू तालिबान ने बाबरी मस्जिद को ढहाया था।'
There was never a Masjid on that site in Ayodhya and there can never be a Masjid there. It is the birthplace of Lord Ram and only a Ram Temple will be built. Sympathizers of Babar are destined to lose: Waseem Rizvi,UP Shia Central Waqf Board Chairman pic.twitter.com/d30C5GqYOs
— ANI (@ANI) July 13, 2018
बता दें कि राम मंदिर भूमि विवाद पर जारी सुनवाई में अब तक सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्षों की दलीलें सुनी गई। मुस्लिम पक्ष से पहले चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस ए नजीर की विशेष पीठ ने 17 मई को हिंदू संगठनों की तरफ से पेश दलीलें सुनी थीं।
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