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गुरुग्राम: सात साल की बच्ची की डेंगू से मौत, अस्पताल ने थमाया 16 लाख का बिल

गुरुग्राम के एक प्राइवेट अस्पताल में सात साल की बच्ची की डेंगू से मौत हो गई। गम में डूबे माता-पिता को अस्पताल ने 16 लाख का बिल थमा दिया है।

Updated on: 21 Nov 2017, 01:30 PM

नई दिल्ली:

गुरुग्राम के एक प्राइवेट अस्पताल में सात साल की बच्ची की डेंगू से मौत हो गई अपनी बच्ची को खोने के गम में डूबे माता-पिता पर एक और पहाड़ टूटा जब अस्पताल ने उन्हें 16 लाख का का बिल थमा दिया। 

दरअसल द्वारका में रहने वाले जयंत सिंह की जुड़वा बच्चियों में से उनकी बड़ी बेटी आद्या को दो महीने पहले, 27 अगस्त को तेज बुखार हुआ। जिसके बाद उसके माता-पिता ने बच्ची को द्वारका के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया। जहां पता चला कि उसे डेंगू हुआ है। 

लेकिन हालत ज्यादा बिगड़ने के कारण बच्ची को 31 अगस्त को गुरुग्राम के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवाया गया। शुरुआत में आद्या को कई दवाइयां दी जा रहीं थी लेकिन, इसके बावजूद बच्ची की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था। 

आईसीयू में भर्ती बच्ची की 15 सितम्बर को मौत हो गई थी और अस्पताल ने माता-पिता को 20 पन्नों का 16 लाख का बिल थमा दिया था।

आद्या को करीब दस दिनों तक लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। अस्पताल ने 1600 ग्लव्स , 660 सिरिंज और कई दूसरी चीजों को बिल में शामिल किया है।

इस मामले पर बच्ची के पिता जयंत सिंह ने कहा, 'मैं जांच के लिए अपील करना चाहता हूं और यदि कानून में कोई भी परिवर्तन आवश्यक है, तो उन्हें बदला जाना चाहिए। हमारे साथ जो हुआ हम नहीं चाहते कि दूसरों के साथ वैसा हो।' 

ट्वीट के जरिये अस्पताल के बिल की कॉपी शेयर की गई है 

सोशल मीडिया पर ट्वीट वायरल होने पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने भी इस मामले को संज्ञान में लेते हुए ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा, 'कृपया घटना की सारी जानकारी मुझे hfwminister@gov.in पर दें इस मामले में जरूरी कार्रवाई की जाएगी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने कहा, ' यह हादसा दुखद है सरकार ने इस मामले की रिपोर्ट अस्पताल से मांगी है और कार्रवाई की जाएगी

अस्पताल ने ट्वीट कर लिखा, 'सर हमें मरीज की डिटेल्स दें। इस मामले पर पूरी जांच की जाएगी।'

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इस पूरे मामले पर अस्पताल ने सफाई दी है अस्पताल ने अपने बयान में कहा है कि आद्या डेंगू शॉक सिंड्रोम से जूझ रही थी उसकी हालत को स्थिर बनाए रखने के लिए उसे 48 घंटे के अंदर लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था

बच्ची के परिवार को उसकी गंभीर हालत के बारे में और ऐसी स्थिति में इलाज के बारे में बता दिया गया था हर दिन बच्ची की सेहत के बारे में परिवार को जानकारी दी जा रही थी

14 सितंबर को परिवार ने मेडिकल सलाह के खिलाफ जाकर बच्ची को अस्पताल से ले जाने का फैसला लिया और उसी दिन बच्ची की मौत हो गई

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