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क्या बदल रहा है सउदी अरब? महिलाओं को ड्राइविंग की अनुमति और योग को खेल का दर्जा, जानें वजहें

योग का प्रसार प्रचार करने वाली सउदी अरब की पहली महिला नाउफ मारवाई सालों से योग के पक्ष में लड़ाई लड़ रही थी अब जाकर मिला जंग को विराम।

Updated on: 20 Dec 2017, 08:08 PM

highlights

  • सउदी अरब में योग को मिला खेल का दर्जा 
  • महिलाओं को भी ड्राइविंग की मिली इजाज़त 
  • 500 अरब डॉलर का मेगा सिटी बनाने का प्रोजेक्ट

नई दिल्ली:

मुस्लिम बाहुल्य देश और अन्य सभी मुस्लिम देशों में सबसे अधिक प्रभावशाली सउदी अरब ने अपनी पंरपराओं के उलट योग को खेल गतिविधि का हिस्सा मानने के लिए आधिकारिक मंज़ूरी दे दी है। 

इसी के साथ देश में योग का प्रसार प्रचार करने वाली पहली महिला नाउफ मारवाई की सालों की लड़ाई को विराम मिल गया। वो कई सालों से योग के लिए देश के अंदर लड़ाई लड़ रही थीं और लगातार धार्मिक गुरुओं की नाराज़गी झेल रही थीं।

इससे पहले भी हाल ही में सउदी अरब ने अपनी परंपराओं के उलट एक और ऐसा ही उदारवादी फैसला लेते हुए देश की महिलाओं को ड्राइविंग का अधिकार दे दिया था। सउदी अरब के लोगों के लिए और इस देश के बारे में जानकारी रखने वालों के लिए यह कदम चौंकाने वाले हैं।

इस समय सउदी अरब राजनीतिक ऊठापटक के दौर से भी गुज़र रहा है ऐसे में सउदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान द्वारा लिए गए यह फैसले कौतहूल तो ज़रुर पैदा करते हैं।

क्या है बदलाव की वजह?

राजनीतिक वजहें

देश के अगले पावर इन कमांड क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान आमूलचूल परिवर्तन करने की तैयारी में है। इसमें उनकी सबसे बड़ी कोशिश है भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई।

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इसके तहत सख़्त कदम उठाते हुए सउदी क्राउन प्रिंस सलमान ने हाल ही में (चार नवंबर को) दर्जनों प्रिंस (अपने भाइयों) और उच्च अधिकारियों को (जिनमें दुनिया के अरबपति प्रिंस भी शामिल हैं) को गिरफ्तार कर लिया था।

इसे सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते लिया गया कदम बताया, लेकिन जानकार इसे सत्ता पर पूर्ण केंद्रीकरण की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं।

सउदी अरब के किंग और क्राउन प्रिंस के पिता सलमान बिन अब्दुलाज़ीज़ अल सउद ने अपने उत्तराधिकारी के रुप में अपने प्रिय बेटे मोहम्मद बिन सलमान को चुना है। किंग के इस फैसले से परिवार में भी गतिरोध है।

ऐसे में मोहम्मद बिन सलमान के सामने कई चुनौतियां है। किंग सलमान को बेटे बिन सलमान पर काफी भरोसा है जिसके चलते उनके हाथों कई महत्वपूर्ण पदों की ज़िम्मेदारी दी गईं है। बिन सलमान सउदी के उप प्रधानमंत्री होने के साथ ही रक्षा मंत्री भी हैं और आर्थिक मामलों की भी ज़िम्मेदारी इन्हीं पर है।

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इस सबके अलावा 32 वर्षीय बिन सलमान के पास एक और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है और वो है आर्थिक रिफॉर्म्स लाना।

आर्थिक चुनौती

तेल उत्पादक देश सउदी अरब बदलते समय में बदलती ज़रुरतों के मद्देनज़र आने वाले ख़तरे को भांपते हुए तेल पर अपनी आर्थिक निर्भरता को ख़त्म कर अन्य रास्ते तलाशना चाहता है। आर्थिक रिफॉर्म्स के लिए बिन सलमान ने विज़न 2030 लॉन्च किया है।

इस विज़न के तहत बिन सलमान आर्थिक मोर्चे पर बड़े परिवर्तन करना चाहते है। जिनमें प्रमुख है अर्थव्यवस्था का प्राइवेटाइज़ेशन करना, सब्सिडी कम करना आदि। लेकिन यह सब करना तब तक मुश्किल है जब तक सरकार विदेशी निवेश आकर्षित नहीं कर पाती और महिलाओं के लिए एक बेहतर और स्वतंत्र माहौल नहीं दे पाती। 

मोहम्मद बिन सलमान की इस योजना के तहत इज़रायल, मिस्र और जॉर्डन की सीमाओं के करीब निओम नाम से एक स्मार्ट सिटी बनाई जाएगी। 500 अरब डॉलर निवेश के इस मेगा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश में विदेशी निवेशकों और कारोबारियों को आर्कषित करना है।

सामाजिक बदलाव

निओम योजना को अमलीजामा पहनाने में सबसे बड़ी चुनौती है देश की परंपरागत सोच और वहाबी कट्टरपंथ। विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए इसमें भी कुछ बदलाव की ज़रुरत होगी ताकि 'ओपन मार्केट' बनने में बाधा न आएं।

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सउदी अरब आर्थिक संकट को भांपते हुए सामाजिक स्तर पर भी बदलाव की तैयारी में है। इसी योजना के तहत सरकार देश की आधी आबादी महिलाओं को भी मेन स्ट्रीम में लाने की योजना बना रही है और इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए सउदी अरब में प्रिंस द्वारा महिलाओं के लिए उदारवादी रुख अपनाते हुए देखा जा रहा है। 

ऐसे में संभव है कि आने वाले दिनों में सउदी अरब में महिलाओं और आर्थिक लिहाज़ से कई और बड़े फैसले देखने को मिले।

हालांकि इन सबके बीच देश में जारी राजनीतिक उठा पटक का भी असर इन योजनाओं पर पड़ेगा। ऐसे में प्रिंस की इन योजनाओं के पूरी होने के लिए वहां राजनीतिक स्थिरता बेहद अहम होगी।

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