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विदेश सचिव ने कहा, भारत की परमाणु ज़रूरतों को राजनीतिक रंग न दे चीन

भारत ने चीन से कहा है कि दोनों देशों को एक दूसरे की आकांक्षाओं का सम्मान करना चाहिये। साथ ही यह भी कहा कि नागरिक परमाणु तकनीक भारत की जरूरत है और इसे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिये।

Updated on: 10 Dec 2016, 08:11 AM

नई दिल्ली:

भारत ने चीन से कहा है कि दोनों देशों को एक दूसरे की आकांक्षाओं का सम्मान करना चाहिये। साथ ही यह भी कहा कि नागरिक परमाणु तकनीकी भारत की जरूरत है और इसे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिये। 

भारत ने चीन से कहा है कि दोनों देशों को एक दूसरे की आकांक्षाओं का सम्मान करना चाहिये। भारत ने कहा है कि उसके नागरिक परमाणु तकनीकी जरूरतों को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिये।

चीन का एनएसजी में भारत की सदस्यता के विरोध संदर्भ में विदेश सचिव एस जयशंकर ने चाइना थिंक टैंक फोरम में जोर देते हुए कहा, "इस बदलाव के समय में हमें रणनीतिक बातचीत पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है। इससे गलतफहमियां दूर करने में सहायता मिलेगी और एक दूसरे के प्रति विश्वास भी बढ़ेगा।"

उन्होंने एनएसजी का ज़िक्र किये बगैर कहा इसमें अधिक प्रतिनिधियों को जोड़कर न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी कंट्रोल ग्रुप का विस्तार किये जाने की ज़रूरत है। साथ ही उन्होंने पेरिस समझौते पर भारत और चीन के बीच में गहरे सहयोग पर भी जोर दिया।

उन्होंने कहा, "नागरिक परमाणु ऊर्जा तकनीकी की भारत की जरूरतों को देखते हुए समूह में विस्तार किये जाने की ज़रूरत है।"

उन्होंने कहा, "विकासशील देशों के एकजुटता को ध्यान में रखते हुए ये जरूरी है कि चीन भारत की जरूरतों को विकास से जोड़कर देखे और इसे कोई राजनीतिक रंग न दे।"

गहरे द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाए जाने पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा, "हमें एक दूसरे की संप्रभुता और आकांक्षाओं का सम्मान करते हुए आपसी विश्वास को बढ़ाना और मज़बूत करना चाहिये।"

विदेश सचिव एस जयशंकर ने आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय समस्या बताते हुए कहा कि दोनों देशों को "कट्टरपंथी आतंकवाद" पर द्विपक्षीय सहयोग करना चाहिये। लेकिन असंतोष जताते हुए उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर दोनों देश अंतर्राष्ट्रीय मंच पर साथ नहीं आ पा रहे हैं।

विदेश सचिव ने कहा, "विवधता और बहुलतावादी समाज होने के कारण हम दोनों कट्टरपंथी आतंकवाद के खतरे का सामना कर रहे हैं। लेकिन हम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मसले पर उतना आपसी सहयोग नहीं कर पा रहे हैं, जितना कि करना चाहिये।"

एस जयशंकर का बयान इसलिये महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि चीन जैशे मोहम्मद के सरगना अजहर मसूद को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किये जाने की भारत की कोशिशों में रोड़ा अटका रहा है।