RSS नेता मनमोहन वैद्य ने कहा, JNU नहीं, BHU है भारतीयता का प्रतीक
आरएसएस के वरिष्ठ नेता मनमोहन वैद्य ने जेएनयू और बीएचयू की तुलना करते हुए ऐसा बयान दिया है जिस पर सियासी बवाल खड़ा हो सकता है।
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता मनमोहन वैद्य ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) और बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) की तुलना करते हुए ऐसा बयान दिया है जिस पर सियासी बवाल खड़ा हो सकता है।
संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने बीएचयू को 'भारतीयता का प्रतीक' जबकि जेएनयू को 'भारतीयता का प्रतीक नहीं' कहा है।
आरएसएस से जुड़ी साप्ताहिक पत्रिका पांचजन्य और आर्गनाइजर के 70 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित एक समारोह में वैद्य ने कहा कि भारत के दो विचार हैं, एक वह जो पश्चिम से आता है जो प्रकृति में भारतीय नहीं है और दूसरा वह है जो पूरी तरह से भारतीय है।
उन्होंने कहा, 'जहां जेएनयू भारतीयता का प्रतीक नहीं है तो बीएचयू का प्रतीक है। हिन्दू शब्द सांप्रदायिक शब्द नहीं है। अगर आप बीएचयू का संविधान देखें तो यह भारतीयता की बात करता है।'
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वैद्य ने संघ की पत्रिका की तारीफ करते हुए कहा कि दोनों पत्रिकाओं को आरएसएस के मुखपत्र के रूप में अक्सर देखा जाता है। उन्होंने कहा, 'असल में, आरएसएस का कोई मुखपत्र नहीं है। ये राष्ट्रवादी प्रकाशन हैं।'
संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख ने देश के पहले प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार पटेल की भी तुलना की है। उन्होंने सोमनाथ मंदिर के निर्माण को लेकर कहा कि मुंशी (केएम मुंशी) के बयानात काफी हैं यह बताने के लिए कि कैसे पहले प्रधानमंत्री ने मंदिर का विरोध किया था। हालांकि वैद्य ने कहा कि नेहरू 'भारत विरोधी' नहीं थे।
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