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कंपनी की भलाई के लिए निजी तौर पर भी साइरस मिस्त्री से पद छोड़ने का किया था आग्रह: रतन टाटा

टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद रतन टाटा और साइरस मिस्त्री के बीच विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।

Updated on: 09 Jan 2017, 07:21 PM

नई दिल्ली:

टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद रतन टाटा और साइरस मिस्त्री के बीच विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।

नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल को टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन रतना टाटा ने बताया है कि साइरस मिस्त्री को पद से हटाने का फैसला अचानक नहीं लिया गया हैं। उन्होंने खुद निजी तौर पर मिस्त्री को पद छोड़ने के लिए कहा था।

इतना ही नहीं टाटा बोर्ड के सभी सदस्यों ने भी साइरस मिस्त्री को वीआरएस लेने का प्रस्ताव दिया था लेकिन साइरस ने उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

जब उन्होंने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया तब सदस्यों ने उन्हें वोटिंग के जरिए हटाने का फैसला किया था।

रतन टाटा ने कहा साइरस को हटाने का फैसला बोर्ड ने इसलिए किया क्योंकि वो 4 सालों में चेयरमैन रहते हुए कंपनी को आगे ले जाने में बुरी तरह असफल रहे थे।

नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल को 204 पेज के दिए एफिडेविट में रतन टाटा ने बताया साइरस मिस्त्री कंपनी के अधिकारियों का भरोसा खो चुके थे।

रतन टाटा ने कहा अपने चार साल के कार्यकाल के दौरान कई ऐसी घटनाएं हुई जिससे लोगों का उनमें विश्वास कम हुआ। उनकी नेतृत्व क्षमता, काम के प्रति शिष्टाचार की कमी, कंपनी के पैसों का निवेश ठीक ढंग से नहीं करना, रोजाना आने वाली समस्याओं को सुलझाने में नाकामी, कंपनी को आगे बढ़ाने की योजना में असफलता, कंपनी को नई ऊंचाईयों पर ले जा पाने की क्षमता का अभाव, कारोबारी योजना का अभाव, और कमजोर मैनेजमेंट टीम ऐसी वजहें थी जिसकी वजह से बोर्ड उन्हें चेयरमैन पद से हटाना चाहती थी।

वो बोर्ड के सभी निदेशकों का भरोसा खो चुके थे। टाटा संस टाटा की सभी कंपनियों की पैरेंट संस्था है। टाटा संस ने 24 अक्टूबर को साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया था।

चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद साइरस मिस्त्री रतन टाटा और इस फैसले के खिलाफ कानूनी लड़ाई भी लड़ रहे हैं।