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रामजस विवाद: गुरमेहर कौर को मिला राहुल गांधी का समर्थन, दूसरे विपक्षी दल भी आए साथ

कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवान की बेटी गुरमेहर कौर को समर्थन देते हुए कांग्रेस वाइस प्रेसिडेंट राहुल गांधी ने कहा कि वह असहिष्णुता के खिलाफ आवाज उठाने के लिए कौर की तारीफ करते हैं।

Updated on: 28 Feb 2017, 07:03 AM

highlights

  • रामजस विवाद में गुरमेहर कौर को मिला राहुल गांधी का समर्थन
  • राहुल ने कहा आक्रोश और असहिष्णुता के खिलाफ उठने वाली हर आवाज में एक गुरमेहर कौर होगी

New Delhi:

कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवान की बेटी गुरमेहर कौर को समर्थन देते हुए कांग्रेस वाइस प्रेसिडेंट राहुल गांधी ने कहा कि वह असहिष्णुता के खिलाफ आवाज उठाने के लिए कौर की तारीफ करते हैं। इसके अलावा आमआदमी पार्टी और ललेफट पार्टियों ने भी गुरमेहर को दुष्कर्म की धमकी देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। 

राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, 'किसी भी डर की स्थिति में हम हमारे छात्रों के साथ खड़े हैं। आक्रोश और असहिष्णुता के खिलाफ उठने वाली हर आवाज में एक गुरमेहर कौर होगी।'

राहुल गांधी के अलावा पूरी कांग्रेस गुरमेहर के समर्थन में आ गई है। पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, किसी शख्स की सोच आपको पसंद नहीं आ सकती है लेकिन ऐसे लोगों से विवेकहीन धमकियां और सोशल साइट पर पीछा किया जाना जिन्हें भारत के प्रधानमंत्री फॉलो करते हैं। ये राज्य द्वारा खौफ और लोकतांत्रिक देशों के काम का सबसे बुरा रूप है।

कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी और माकपा ने भी इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और मांग की कि जिन लोगों ने गुरमेहर के साथ दुष्कर्म करने की धमकी दी उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

आरएसएस समर्थित छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और वामपंथी छात्र संगठन आइसा के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद डीयू की छात्रा गुरमेहर कौर ने 'मैं एबीवीपी से नहीं डरती' का कैंपेन चलाया था, जिसके बाद उन्हें चौतरफा समर्थन मिल रहा है।

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इस बीच यह मामला अब कांग्रेस और बीजेपी के बीच जंग की शक्ल ले चुका है। कांग्रेस के बयान के बाद केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने पलटवार करते हुए कहा कांग्रेस ने कभी भी संवैधानिक अधिकारों का सम्मान नहीं किया और उसने आपातकाल लगाया। लेकिन वह अब बोलने की आजादी और उसके अधिकारों के बारे में बात कर रही है।

नायडू ने कहा, 'संविधान हमें बोलने और लिखने की आजादी देता है लेकिन इसका इस्तेमाल सामाजिक तनाव फैलाने और लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं किया जा सकता।'

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