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साइकिल चुनाव चिह्न पर मुलायम अड़ंगा ना डालें इसलिए अखिलेश ने सुप्रीम कोर्ट में केविअट याचिका दायर की

समाजवादी पार्टी में बाप-बेटे यानि की मुलायम-अखिलेश के बीच साइकिल चुनाव चिह्न को लेकर छिड़ी जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही है।

Updated on: 17 Jan 2017, 05:12 PM

नई दिल्ली:

समाजवादी पार्टी में बाप-बेटे यानि की मुलायम-अखिलेश के बीच साइकिल चुनाव चिह्न को लेकर छिड़ी जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। चुनाव आयोग का फैसला अखिलेश यादव के पक्ष में जाने के बाद ऐसी संभावना है कि मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव गुट फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दे सकते हैं।

इसी को देखते हुए चुनाव चिह्न पर अपनी मजबूत दावेदारी बनाए रखने के लिए अखिलेश यादव गुट ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में केविअट अर्जी दायर कर दी है।

केविअट अर्जी दाखिल करने का मतलब ये है कि अगर मुलायम सिंह या उनकी तरफ से कोई चुनाव आयोग के सिंबल फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देता है तो सुप्रीम कोर्ट अखिलेश गुट के पक्ष को सुने बगैर अपना कोई आदेश ना दे।

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बीते दिनों चुनाव आयोग ने मुलायम सिंह यादव को बड़ा झटका देते हुए चुनाव आयोग ने साइकिल चुनाव चिह्न अखिलेश खेमे को आवंटित कर दिया था।

चुनाव आयोग के फैसले के मुताबिक अखिलेश खेमे की तरफ से सौंपे गए हलफनामे में, 'अखिलेश यादव खेमे ने पार्टी के कुल 228 विधायकों में 205 विधायकों, 68 पार्षदों में से 56 पार्षदों, लोकसभा और राज्यसभा के कुल 24 सांसदों में से 15 सांसदों के लिखित हलफनामा वाला समर्थन पत्र पेश किया।'

फैसले के मुताबिक, 'अखिलेश यादव ने पार्टी के सांसदों, विधायकों, पार्षदों और पदाधिकारियों के समर्थन वाला 4716 हलफनामा दिया था।' इसके साथ ही राज्यसभा में पार्टी के 19 सांसदों में से 11 सांसदों ने अखिलेश यादव खेमे को अपना समर्थन दिया था। आयोग के मुताबिक, '5731 नैशनल कंवेंशन डेलिगेट्स में से 4400 का समर्थन अखिलेश यादव खेमे को मिला था।'

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद मामले की तात्कालिकता को देखते हुए चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों को 13 जनवरी को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया। लेकिन इस दौरान भी मुलायम सिंह यादव ने भी अपने समर्थन में कोई दावा पेश नहीं किया।

9 जनवरी 2017 को मुलायम सिंह यादव ने चुनाव आयोग को अपने दावे के पक्ष में सिर्फ अपना हलफनामा दिया था। जबकि चुनाव आयोग ने उन्हें पार्टी के चुनाव चिह्न की दावेदारी के लिए पार्टी सदस्यों, सांसदों, विधायकों और पार्षदों के समर्थन वाला हलफनामा दायर करने को कहा था। इसी के बाद चिनाव आयोग ने साइकिल चुनाव चिह्न अखिलेश यादव गुट को दे दिया था।

मुलायम और अखिलेश के बीच जारी खींचतान के बाद मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि अखिलेश यादव उनकी एक भी बात नहीं सुनते हैं और अगर जरूरत पड़ी तो वो अपने बेटे के खिलाफ भी चुनाव लड़ सकते हैं।