सुप्रीम सुनवाई के बीच RSS ने तैयार किया 'राम-राज्य रथ यात्रा' का प्लान
एक तरफ जहां राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले पर शीर्ष अदालत सुनवाई कर रही है। वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने अयोध्या से रामेश्वरम तक की रथ यात्रा निकालने की तैयारी शुरू कर ली है।
नई दिल्ली:
एक बार फिर राम मंदिर का मुद्दा सियासी और धार्मिक जगत में चर्चा का विषय बना हुआ है। एक तरफ जहां राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले पर शीर्ष अदालत सुनवाई कर रही है। वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने अयोध्या से रामेश्वरम तक की रथ यात्रा निकालने की तैयारी शुरू कर ली है।
यह यात्रा 13 फरवरी से 23 मार्च तक ये यात्रा होगी। 39 दिनों की ये यात्रा कहने को तो श्री रामदास मिशन यूनिवर्सल सोसाइटी ऑफ महाराष्ट्र आयोजित करा रही है। लेकिन यात्रा में RSS और उसके सहयोगी संगठनों की भी पूरी भागीदारी रहने वाली है।
39 दिनों की यात्रा के दौरान करीब 40 सार्वजनिक बैठकें करने की रणनीति बनाई गई है। जाहिर है रथ यात्रा कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनाव के मद्देनजर रहने वाली है।
इस यात्रा को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय सतर्क है। ये 'राम-राज्य रथ यात्रा' के नाम से आयोजित की जा रही है। इस रथ यात्रा को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या के कारसेवकपुरम से विश्व हिंदू परिषद के मुख्यालय से रवाना करेंगे।
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यात्रा की शुरुआत के लिए चुनी गई है ये जगह सिर्फ इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि विश्व हिंदू परिषद का मुख्यालय है बल्कि इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यही वह कार्यशाला है जहां राम मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशे जा रहे हैं।
राम-राज्य रथ यात्रा की तैयारी की जिम्मेदारी
अयोध्या में इस यात्रा की तैयारियों की जिम्मेदारी RSS की दो सहयोगी संस्थाएं विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय मुस्लिम मंच को दिया गया है। किसी यात्रा के लिए इस्तेमाल होने वाला रथ बिल्कुल राम मंदिर के मॉडल पर बनाया जा रहा है इसका निर्माण मुंबई में हो रहा है।
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यात्रा से पहले कारसेवकपुरम में संत सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा उसके बाद सुबह के मुख्यमंत्री यात्रा को रवाना करेंगे उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के अलावा यह यात्रा चार अन्य राज्यों मध्य प्रदेश महाराष्ट्र कर्नाटक केरल से होकर गुजरेगी।
इस इस यात्रा को बिना बाधा डाले जारी रखने के लिए गृह मंत्रालय ने राज्यों के पुलिस अधिकारियों को पत्र लिखकर जरूरी इंतजामात करने को कहा है।
2019 लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर जिंदा होने की कगार पर है ऐसे में आने वाले दिनों में इस पर सियासत देखी जा सकेगी। हालांकि भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह पहले ही कह चुके हैं कि राम मंदिर का मुद्दा बीजेपी का कोर मुद्दा नहीं है।
वहीं कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि मोदी सरकार का सिर्फ रथयात्रा रह गया है, विकास का कोई मुद्दा नहीं है। आखिर कब तक ये राम भरोसे सरकार चलेगी इस यात्रा का सियासी मकसद साफ है।
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