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राजीव गांधी की दूरदर्शिता के कारण विश्व में मिली भारत को पहचान

उनके दूरदर्शिता का ही नमूना है कि आज विश्व में भारत सबसे ज्यादा विश्वस्तरिए आईटी इंजीनियर पैदा कर रहा है और विदेशों में भारत का नाम रौशन हो रहा है।

Updated on: 20 Aug 2018, 09:13 PM

नई दिल्ली:

सफेद कुर्ता, चेहरे पर सुरीली मुस्कान, हाथों में चम-चमाती गोल्डन कलर की घड़ी, आंखों पर काले रंग का बड़ा सा चश्मा और स्वभाव से सौम्य। ये छोटा सा परिचय है देश के छठे प्रधानमंत्री राजीव गांधी की। एक के बाद एक कई योजनाएं और अपने शानदार कार्यों के जरिए जनता के दिलों में राजीव गांधी ने एक अलग जगह बनाई जो आज भी लोगों के जेहन में बची हुई है। पारदर्शिता की बात कर लोगों के दिलों पर राज करने लगे तो मतदान की उम्र को कम करके मतदाता सूचि में करोड़ों नए युवा नाम जोड़े।

वो राजीव गांधी ही थे जिनकी परिक्लपना थी कि भारत में संचार क्रांति आए और इसका नतीजा भी हम सब के सामने है। आज हर लोगों के हाथ में मोबाइल और इंटरनेट है। वो राजीव ही थे जिन्होंने सोचा कि भारतीय लोकतंत्र में मतदान की उम्र 21 वर्ष से घटाकर 18 साल किया जाए और ऐसा हुआ।

साहसी फैसले ने राजीव की बनाई एक अलग छवि

वो राजीव ही थे जिन्होंने सोचा कि 'पावर' लोगों के हाथ में हो और पंचायती राज को लागू करवाया। वो राजीव गांधी ही थे जिन्होंने पड़ोसी देश चीन के साथ दूरियों को कम करते हुए ऐतिहासिक यात्रा की।

साल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में बने निराशा का माहौल से राजीव गांधी ने सत्ता संभालते ही निजात दिलाए और जनता के पक्ष में एक के बाद एक साहसी फैसले लिए।

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राजीव गांधी ने न सिर्फ देश को चलाया बल्कि इंदिरा की हत्या के बाद प्रधानमंत्री बने और जल्द ही चुनाव में जाने का ऐलान किया और भारतीय इतिहास में अभी तक की सबसे बड़ी जीत के साथ दोबारा प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे।

राजीव की ऐतिहासिक चीन यात्रा 

साल 1954 के बाद राजीव गांधी पहले प्रधानमंत्री बने जिन्होंने चीन की यात्रा की। इस यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच शांति बहाली और रिश्तों में जारी तनातनी को कम करने में काफी मदद मिली थी। राजीव गांधी के प्रयासों के कारण ही दोनों देशों के बीच रिश्ते सामन्य हो सके थे। साल 1988 में चीन की उनकी यात्रा इस मामले में काफी ऐतिहासिक है।

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उस दौर में जब राजीव गांधी एक के बाद एक कई अहम फैसले लिए जा रहे थे तो ऐसा नहीं कि लोग पूरी तरह से मान ले रहे थे। कुछ लोग अक्सर उनके फैसले का विरोध करते थे। इसी में एक फैसला उन्होंने लिया था कि देश में मतदान की उम्र सीमा 21 से घटाकर 18 साल किया जाए।

इस फैसले के बाद 5 करोड़ युवा मतदाता एक साथ वोटर लिस्ट में जुड़ गए थे। सरकार के इस फैसले का देश भर में भारी विरोध हुआ था। उस दौर में राजीव ने चुनाव सुधार के लिए भी कई अहम कदम उठाए थे।

राजीव गांधी अपने भाषणों में हमेशा 21वीं सदी में प्रगति का जिक्र किया करते थे। उस समय उन्हें भरोसा हो गया था कि आने वाले दिनों में तकनीक के जरिए ही विकास सक्षम है। यही कारण है कि उन्होंने टेलीकॉम और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काफी काम किया।

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राजीव के कई फैसलों को लोगों ने सराहा तो कई फैसले को लोगों ने जमकर आलोचना की। संचार क्रांति के फैसले को लोंगे ने तारीफ की तो बोफोर्स घोटाले का साया अभी भी कांग्रेस का पीछा नहीं छोड़ती है।

अयोध्या में विवादित ढांचा का ताला खुलवाने के फैसले को हिंदू कटरपंथियों ने खूब तारीफ की तो शाहबानों फैसले पर जमकर उनकी आलोचना हुई। हालांकि इनके कई ऐसे फैसले हैं जिन्हें लोगों ने सराहा।

उनके दूरदर्शिता का ही नमूना है कि आज विश्व में भारत सबसे ज्यादा विश्वस्तरिए आईटी इंजीनियर पैदा कर रहा है और विदेशों में भारत का नाम रौशन हो रहा है।